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केश दान है जन कल्याण
सिर के बालों के दान का महत्व और उपयोगिता
हाल ही में मैं अपने एक मित्र के बेटे की शादी में मुम्बई गया था। वहां रविवार के एक अंग्रेज़ी दैनिक में प्रकाशित पूरे पेज के लेख पर मेरी नज़र पड़ी। लेख, बालों (केशों) के दान का महत्व और उपयोगिता पर था। मुम्बई के टाटा कैंसर इन्स्टिट्यूट ने इस दान के लिए पहल की और कई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओज़) को अपने साथ जोड़ा है।
दान के बालों की आवश्यकता
कैंसर के मरीज़ के इलाज का, दवाओं के साथ, एक चरण कीमोथेरेपी का भी होता है। इस थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को किरणों के ज़रिए जलाया जाता है, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाए और रोग का निदान हो जाए। इस थेरेपी का सबसे बुरा असर सिर के बालों पर पड़ता है। मरीज, चाहे वह महिला हो या पुरुष, गंजा हो जाता है। मरीज़ के लिए यह स्थिति सामाजिक और मानसिक तौर पर पीड़ा दायक होती है। लोग पूछने लगते हैं-अरे! यह क्या हो गया? बालों के अभाव से उपजी कुरूपता को शिद्दत से महसूस कर मरीज़ रोग से मुक्ति पाने के बाद भी अवसाद में चला जाता है। अपने गंजेपन के कारण वह लोगों के सामने जाने, उनसे मिलने-जुलने और काम पर जाने से भी कतराने लगता है।
कुछ उदाहरण
अभया (बदला नाम) एक साल पहले तक गले के कैंसर से जूझ रही थी। उसके लम्बे बाल थे जो कीमोथेरेपी के बाद एकदम झड़ गए और वह गंजी हो गई। वह किसी का सामना नहीं कर पा रही थी। यहां तक वह स्वयं खुद को भी महसूस नहीं कर पा रही थी। सुमित (बदला नाम) को दस साल की उम्र में ब्रेन कैसर हो गया था। इलाज हुआ। वह ठीक भी हो गया। अब उसकी उम्र 29 साल है, लेकिन उसके सिर पर बाल नहीं उग सके। वह अपनी तस्वीरें देखना पसंद नहीं करता था। दोनों ने एनजीओज़ से सम्पर्क किया। सुमित ने विग पाया और वह आज वह शौक से अपनी तस्वीर निहारता है। अभया भी विग पाकर खुश है। अब उसके बाल धीरे-धीरे उगना शुरू हो गए हैं।
बाल दान करने वाले दानी
टाटा कैंसर इन्स्टीट्यूट की पहलकदमी से महिलाओं व पुरुषोें में जागरूकता आई और अनेक लोग बेझिझक बाल दान के लिए तैयार हो गए। चैबीस साल की आईटी व्यवसाय से जुड़ी लिंडल सनी ने एक एनजीओ ‘हेयर फाॅर होप इण्डिया’ के ज़रिए अपने बाल दान किए। इनकी बहन की 18 साल पहले कैंसर से मृत्यु हो चुकी थी। बाल दान करके उन्हें सुकून मिला कि इस तरह उन्होंने अपनी किसी अनजान बहन को आत्मविश्वास दिया। उल्लेखनीय बात यह है कि इस काम में उनकी 13 साल की बिटिया ने भी साथ दिया। मां-बेटी दोनों ने अक्टूबर, 2016 को अपने बाल दान किए। इसी तरह 40 साल की सुनीता वज़ीर ने एक अन्य एनजीओ ‘मेडेट चेरिटेबल ट्रस्ट’ के माध्यम से अपने बाल दान किए। सुश्री वज़ीर नियमित तौर पर रक्त दान करती रही हैं। पिछली जुलाई को जब उनकी एक मित्र की आॅन्ट ने अपने बाल दान किए तो उन्होंने भी मन बना लिया। इस साल फरवरी तक उन्होंने अपने बाल बढ़ाए और उन्हें दान कर दिया। शेरिन मैथ्यू, उम्र 26 साल, काॅन्ट्रेक्ट मैनेजर पद पर कार्यरत। इन्होंने भी ‘हेयर फाॅर होप इण्डिया’ के माध्यम से अपने बाल दान किए।
कौन एनजीओ कराते हैं बाल दान
गुर्दे या रक्त दान से कहीं ज़्यादा आसान है बालों का दान। लेकिन बड़ी संख्या में लोग इससे अनजान है। इसलिए मेडेट ट्रस्ट, हेयर ऐड और हेयर फाॅर होप इण्डिया जैसे एनजीओज़ आॅन लाइन तथा दान-अभियानों के ज़रिए पूरे देश में केश दान के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। ये संगठन सावधानी से दान में मिले सिर के बालों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें अपने से जुड़़े विग बनाने वालों को दे देते हैं।
मुम्बई के ब्रीच कैन्डी हाॅस्पिटल की फोड़े-फुन्सीविशेषज्ञ (आॅन्काॅलाॅजिस्ट) डाॅ. सुजाता वसानी का कहना है, ‘कीमोथेरेपी से पहले हम आमतौर पर मरीज़ों को अपने बालों से मिलते-जुलते विग ले लेने की सलाह देते है। एक विग की कीमत लगभग 30,000 रु. आती है।
बाल दान करने में सावधानियां
एनजीओज़ की अपील है कि बालों को कटवा कर व्यर्थ न फेकें। दान करने के लिए ज़रूरी है कि उतारे जाने वाले बाल 12 इंच से कम लम्बाई के न हों। उतारते समय बाल ज़मीन पर न गिरें। उन्हें सीधे प्लास्टिक के बैग में गिरना चाहिए। एक विग के लिए कम से कम 6 से 7 महिलाओं के बालों की ज़रूरत होती है। सफेद, कलर किए हुए, ट्रीटेड, स्ट्रीक्ड बाल भी दान किए जा सकते है। ड्रªायर का इस्तेमाल न करें। नैसर्गिक बालों से बना विग इस तरह तैयार किया जाता है कि वह इसे पहनने वाले के सिर पर मूल बालों जैसा लगे। यह विग न केवल लम्बे समय तक चलता है बल्कि इसे सिर पर पहने हुए ही आसानी से धोया जा सकता है। किसी भी तरह का हेयर स्टाइल बनाया जा सकता है। तो! है न! बिना खर्च के जन कल्याण का रंग चोखा!
दधीचि देह दान समिति ने भी देह/अंग दान के साथ इस अनूठे दान के लिए लोगों को जागरूक बनाने में अपना यह पहला कदम बढ़ाया है।
आलोक कुमार
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