गोयल दंपती जगा रहे हैं देहदान की अलख !
फरीदाबाद.शहर के 62 वर्षीय राजीव गोयल और उनकी पत्नी अर्चना ने अंधविश्वास और रूढ़िवादिता के खिलाफ जाकर देहदान का संकल्प लिया। इनका मकसद है मानवता की सेवा। अब यह जोड़ा लोगों में देहदान के प्रति अलख जगा रहा है। ये कहते हैं कि मरने के बाद हमारे शरीर का सिर से लेकर अंगूठा तक किसी के काम आए तो इसे जलाकर माटी बनाने में क्या फायदा। यह जोड़ा अब तक 100 से अधिक लोगों से देहदान व अंगदान के संकल्प पत्र भरा चुका है।
राजीव गोयल ने कहा कि हमारे समाज में मरने के बाद शरीर के अंतिम संस्कार को लेकर बहुत गहरी धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है। इसकी वजह से लोग देहदान व अंगदान के लिए आगे नहीं आते। उन्होंने जब देहदान का संकल्प लिया तो कुछ लोगों ने कहा कि मरने के बाद शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया तो आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। अर्चना के अनुसार नेत्रहीनों को देखकर दुख होता था। उन्हें देखकर लगता कि इनकी जिंदगी में रोशनी फिर से लाई जा सकती है। बस हमें थोड़ी पहल करने की जरूरत है। अर्चना के अनुसार कई बार खबरें सुननी में आती हैं कि डोनेटर न होने से किसी की जान चली गई। इस सबके बाद उन्होंने व उनके पति ने संकल्प लिया कि वे अपने शरीर का अंतिम संस्कार कराने के बजाय उसे दान करेंगे। राजीव गोयल ने बताया कि कई बार सड़कों पर नेत्रहीनों को छड़ी के सहारे चलते देखते तो मन में टीस उठती थी कि भगवान ने इनकी रोशनी क्यों छीन ली। अखबारों में कई बार खबरें आतीं कि डोनेटर न मिलने से मरीज की मौत हो गई। यह सब देखने के बाद मन में ख्याल आया कि अंगदान के बारे में बात तो सब करते हैं, लेकिन इसके लिए आगे नहीं आते। उन्होंने पत्नी से चर्चा कर देहदान करने का निर्णय लिया। राजीव के अनुसार अगर हमारे मरने के बाद हमारा शरीर किसी के काम आ सके तो इससे अच्छा और क्या होगा।
100 से अधिक लोगों से भरा चुके शपथ पत्र : वे अब तक 100 से अधिक लोगों से देहदान व अंगदान करने का संकल्प पत्र भरा चुके हैं। विभिन्न कार्यक्रमों में जाकर लोगों को इसके लिए जागरूक करते हैं। राजीव गोयल दधीचि देहदान समिति से भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि मरने के बाद देहदान या अंगदान करने वाले लाेगों के उठावने या तेरहवीं के दिन जाकर वहां वे खुद उस परिवार के सदस्यों का धन्यवाद करते हैं। समय-समय पर देहदान उत्सव मनाते हैं। जहां देहदान व अंगदान करने वाले परिवारों को सम्मानित करते हैं।