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देहदानियों का 33वां उत्सव : दक्षिण दिल्ली - 22 अप्रैल 2018

‘समिति हर वर्ग को साथ लेकर चल रही है’

दधीचि देह दान समिति द्वारा देहदानियों का 33वां उत्सव रविवार 22 अप्रैल 2018 को मनाया गया। स्थान था वर्धमान महावीर मेडिकल काॅलेज (वीएमएमसी)। समय था सुबह 9 बजे। इसमें 150 महानुभावों ने देह दान का संकल्प लिया।

कार्यक्रम को प्रारम्भ करते हुए समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने अतिथियों को दीप प्रज्ज्वलन के लिए आमंत्रित किया। मानव मन्दिर की छात्राओं ने मधुर स्वर में वन्दे मातरम् की प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर वीएमएमसी एवं सफ़दरजंग में शरीरसंरचना विभाग की अध्यक्ष डाॅ. श्रीमती मंगला कोहली ने केडेवर के चिकित्सीय और वैधानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पहला शरीरसंरचना कानून 1948 में पारित हुआ था। आज़ाद भारत के पहले देह दानी थे महाराष्ट्र के पाण्डुरंग श्रीधर आप्टे। डाॅ. मंगला ने समिति का धन्यवाद किया कि उसकी मदद से उत्तर भारत में पहला त्वचा दान हुआ।

जैन साध्वी समताश्री (मां जी) ने जैन धर्म के अनुसार देह दान के महत्व को उजागर किया। उन्होंने कहा कि साध्वी दीपा जी सम्भवतः भारत की पहली जैन देहदानी थीं। उनका मानना है कि सर्जन या फिज़ीशियन की सफलता में शरीरसंरचना की पढ़ाई का बहुत महत्व है। उन्होंने समिति की उस मदद का भी उल्लेख किया जो उसने मानव मन्दिर के गुरुजी श्री रूपचन्द के 75वें जन्मदिवस पर 75 अंग दान व देह दान करवाने के उनके संकल्प को पूरा करने में दी। 75 संकल्प पत्र भरवाने का सोचा था लेकिन यह संख्या बढ़ कर 103 हो गई। मां जी ने बताया कि मृत्यु होने के 48 मिनट बाद शरीर पर से व्यक्ति का अधिकार समाप्त हो जाता है। उसके बाद मृत देह पर समाज का अधिकार हो जाता है। जैन धर्म में त्याग का बहुत महत्व है और देह दान से बड़ा कोई त्याग हो नहीं सकता।

आर्ट आॅफ लिविंग की ट्रस्टी श्रीमती इन्दुबाला सिन्हा ने कहा कि समाज प्रकृति को जो देगा, प्रकृति से उसे वापस वही मिलेगा। उन्होंने मंच से ही घोषणा की कि मृत्यु के बाद उनकी व उनके पति की देह का दान किया जाएगा। उन्होंने भावुक होकर दानियों के परिवार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा ‘‘भीड़ नहीं जुनून की ज़रूरत है’’, ज़रूरत है Care and share in spiritualism की।

मुख्य अतिथि एवं वीएमएमसी तथा सफ़दरजंग अस्पताल के मेडिकल सुप्रिन्टेन्डेन्ट डाॅ. राजेन्द्र शर्मा ने अपने उद्गार में एक नया नारा दिया ‘‘देह दान महाकल्याण’’। उन्होंने प्रशंसा की कि समिति समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है। डाॅ. शर्मा ने देह दान जैसे परम कल्याणकारी कार्य में लगी समिति को हर सम्भव सहायता देने का अश्वासन भी दिया।

पिछले वर्ष दक्षिणी दिल्ली से जो अंग और देह दान हो चुके हैं, ऐसे 20 दानी परिवारों को, बारी-बारी मंच पर बुला कर अथितियों द्वारा सम्मानित किया गया।

समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने बीस वर्ष पूर्व देह और अंग दान के बीजारोपण से लेकर दधीचि देह दान समिति की वर्तमान यात्रा को संक्षेप में सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को इस विषय पर प्रेरित करने की आवश्यकता है। अंत में दक्षिणी दिल्ली के संयोजक श्री दीपक गोयल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

श्री दीपक खट्टर, श्री गुलशन शर्मा, डाॅ. श्रीचन्द अग्रवाल, श्रीमती रजनी व श्रीमती रेणु का कार्यक्रम के आयोजन में विशेष सहयोग के लिए आभार।