कविता
आशिमा , कक्षा -4, नई दिल्ली
आओ , कुछ अच्छा काम करते हैं !
क्यों न एक काम किया जाए
मरने के बाद भी जीया जाए
अंगों को अपने दान किया जाए
जिंदगी को फिर से जीया जाए।
आओ मिलकर कुछ काम करते हैं
जीवन में कुछ अच्छा नाम करते हैं
अंगदान ही महादान है
इस बात को अब हम समझते हैं।
खाक तो सबको होना हे एक दिन
फिर क्यों हम मौत से इतना डरते हैं
मरने के बाद भी अगर जीना चाहते हो
तो फिर अंगदान से क्यों डरते हो।
(आशिमा ने यह कविता दधीचि देह दान समिति के उत्तरी दिल्ली क्षेत्र द्वारा 'जन मानस में जागरूकता' कार्यक्रम में सुनाई थी। )
सुरजीत सिंह , फरीदाबाद
अनमोल है मेरा ये शरीर
अनमोल है मेरा ये शरीर
इसे आग में मत जला देना।
मेरे मरने के बाद इसे
मेडिकल कॉलेज पहुंचा देना।
मर जाऊंगा जब मैं
खत्म हो जाएंगी मेरी सांसे।
रोशन होंगी इस शरीर से
मेडिकल कालेज की क्लासें।
मेरा ये मृर्त शरीर
नये डॉक्टर बनाएगा।
आने वाली पीढ़ी का
जो इलाज कर पाएगा।
(दधीचि देहदान समिति की ओर से फरीदाबाद में आयोजित कार्यशाला में सुरजीत सिंह जी ने यह कविता 01मई,2022 को सुनाई थी।)