Article :याद आते रहेंगे अयान्वित
इंदौर के विवेक छापरवाल परिवार के छह वर्षीय पुत्र अयान्वित अबू धाबी में स्विमिंग पूल में हुई एक दुर्घटना के शिकार हो गए थे। उन्हें अबू धाबी स्थित शेख खलीफा हॉस्पिटल में इलाज के लाया गया लेकिन दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। चिकित्सकों ने उनके माता-पिता को सूचित किया कि अगर वे अंगदान के लिए सहमत हों तो अयान्वित का देहदान चार लोगों को नया जीवन दे सकता है।
परिवार ने साहसिक निर्णय लेते हुए सहमति दे दी। नौ अप्रैल को चिकित्सकों ने बच्चे की ह्रदय, लिवर और दोनों किडनी निकालकर चार जरूरतमंदों को प्रत्यारोपित किया।
अबू धाबी सरकार ने अयान्वित के इलाज, अंगदान की सरकारी प्रक्रिया और इलाज के बाद वाराणसी से इंदौर तक शव लाने का पूरा प्रबंध एवं खर्च वहन किया। 12 अप्रैल की रात इंडिगो फ्लाइट से परिवार चार सदस्य (माता-पिता और छोटे भाई) सहित इंदौर लौटे। 13 अप्रैल को तिलक नगर मोक्षधाम में दाह संस्कार हुआ।
अयान्वित की इस पहल ने साबित कर दिया कि 'रक्त, अंग या देहदान केवल जीवनदान की शुरुआत है।' एक समर्थ, उदार और संवेदनशील समाज की नींव ऐसे ही दानदाताओं से बनती है—जो अपने अथाह दर्द में भी दूसरों की जान बचाने का निर्णय लेते हैं।

