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श्रद्धा सुमन

श्रीमती अमृत कुमारी झा
श्रीमती अमृत कुमारी झा का 4 सितम्बर, 2016 को निधन हुआ। वह 82 वर्ष की थीं। वह धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। परिवार में अपने पति व बच्चों को धार्मिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति सजग करती रहती थीं। स्वयं भी एक कर्मठ जीवन जीने वाली श्रीमती अमृत अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में लकवे का शिकार रहीं। उन्होंने अपने जीवन काल में अपने नेत्र दान करने इच्छा व्यक्त की थी। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके परिजनों ने उनकी आंखें गुरु नानक आई हाॅस्पिटल में दान कीं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे

श्रीमती सुहाग रानी अरोड़ा
श्रीमती सुहाग रानी अरोड़ा की 80 वर्ष की उम्र में 4 सितम्बर, 2016 को मृत्यु हुई। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके निकट संबंधियों ने उसी दिन उनकी आंखें गुरु नानक आई हाॅस्पिटल को दान कर दीं। श्री नारायण सेवा समिति, आर्य समाज मंदिर व सनातन धर्म मंदिर में सक्रिय रहना उनकी जीवन चर्या का एक नियमित हिस्सा था। महादान के लिए उन्हें हमारा वंदन। दिवंगत आत्मा के लिए हमारे श्रद्धासुमन।

साध्वी श्री दीपा जी
साध्वी श्री दीपा जी का जन्म राजस्थान के श्री डूंगर गढ़ में हुआ था। सत्रह वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने आचार्य श्री तुलसी के कर कमलों से दीक्षा ग्रहण की। स्वर्गीय साध्वी श्री मंजु श्री महाराज तथा साध्वी श्री चांद कुमारी जी महाराज की तन-मन से सेवा करते हुए उन्होंने लगभग आधे भारत का भ्रमण किया। तपस्या, स्वाध्याय और सेवा उनके जीवन का लक्ष्य थे। आचार्य श्री रूपचन्द्र जी महाराज की शिष्या साध्वी श्री दीपा ने 87 वर्ष की आयु में 7 सितम्बर, 2016 को अपनी देह का त्याग किया। धन्य है वह तपस्विनी जिन्होंने जाते-जाते आश्रम में अपने निकटस्थ स्नेहीजनों को अपनी देह का दान करवाने की स्वीकृति दी। श्री दीपा जी की मृत्यु के बाद, उनके गुरु श्री रूपचन्द्र जी महाराज ने इस अनुपम कार्य की अनुमति देकर संत समाज के लिए एक अनूठा प्रेरक उदाहरण प्र्रस्तुत किया। मरणोपरांत उनकी आंखें वेणु आई बैंक व देह सफदरजंग अस्पताल में दान की गईं। पुण्यात्मा को दधीचि परिवार के शत्-शत् प्रणाम।

श्री जवाहर लाल भंडारी
श्री जवाहर लाल भंडारी साईं बाबा के अनन्य भक्त थे। साईं बाबा समिति और श्रीराम कृष्ण मंदिर, ब्लाॅक एफ, अशोक विहार के साथ वह सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे। भंडारे का विषय हो या गरीब कन्याओं के विवाह का - वह तन, मन, धन से जुट जाते थे। उन्होंने गरीबों की चिकित्सा के लिए हर सुविधा और डाॅक्टरों के साथ एक मोबाइल चिकित्सा एम्बुलेंस दान में दी, जो स्थान-स्थान पर घूम कर ज़रूरतमंदों को सेवाएं देती है। अपने देहावसान के बाद भी वह नेत्र दान करके नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश की किरण बिखेर गए। श्री भंडारी के द्वारा प्रशस्त मार्ग समाज के लिए अनुकरणीय है। उनके परिवारजनों ने 9 सितम्बर, 2016 को 82 वर्ष की आयु में उनकी अंतिम विदाई से पहले उनकी आंखें गुरु नानक आई सेन्टर को दान में दे दीं। परिवार का साधुवाद। महान पुण्यात्मा के लिए दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

श्री अनुज
पच्चीस वर्षीय श्री अनुज की मृत्यु 11 सितम्बर, 2016 को हो गई। माता-पिता का अपने बेटे अनुज की आंखों का दान करने का निर्णय सबके लिए प्रेरणादायी है। इस महादान के लिए दधीचि देह दान समिति की ओर से साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे - ऐसी प्रार्थना है।

श्रीमती निधि
श्रीमती निधि 26 वर्ष की अल्पायु में ही एक महीने की अपनी बच्ची को छोड़ कर इहलोक से चली गईं। उनकी मृत्यु 11 सितम्बर, 2016 को हुई। ऐसी शोक की घड़ी में भी उनके पति द्वारा नेत्र दान का निर्णय लेना एक साहसिक कदम है। उनसे बात करने पर पता चला कि श्मशान घाट में किसी अन्य शव की आंखें लेने डाॅक्टरों की टीम आई हुई थी, बस वही देख कर उन्हें लगा कि मानवता की सेवा का यह कार्य ‘‘मैं भी कर सकता हूं’’। श्रीमती निधि का नेत्रदान 11 सितम्बर को गुरु नानक आई सेन्टर की टीम द्वारा किया गया। साधुवाद उनका। दिवंगत आत्मा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

श्रीमती गुरजीत कौर
श्रीमती गुरजीत कौर का निधन 13 सितम्बर, 2016 को हुआ। उनकी आयु 68 वर्ष थी। वह बाल भारती एअर फोर्स स्कूल में फिज़िकल एजुकेशन की हेड थीं। खेल उनका प्रिय विषय था। उनकी ज़िन्दादिली ने उन्हें अपने विद्यार्थियों व अपने पड़ोसियों में प्रिय बनाया हुआ था। उनके कई पुराने विद्यार्थी उन्हें अंतिम विदाई देने आए। उनके निकटवर्ती लोगों को उनके जाने से जितना सूनापन लगा उससे कहीं अधिक वे गर्व महसूस करते हैं कि जाते-जाते वह दो लोगों का जीवन रोशन कर गईं। उनकी आंखें वेणु आई सेन्टर को दान में दी गईं। इस महादान के लिए दधीचि परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

श्री राजकुमार पोपली
श्री राजकुमार पोपली का 72 वर्ष की आयु में 13 सितम्बर, 2016 को देहांत हो गया। पति-पत्नी दोनों ने परस्पर देह दान की इच्छा व्यक्त की हुई थी। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए पत्नी और बच्चों ने उनकी देह, मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए, आर्मी मेडिकल काॅलेज को दान कर दी। अपनी कर्मठता से उन्होंने उच्चतम उपलब्धियों को प्राप्त किया। श्री पोपली, आर्य समाज से सक्रियता से जुड़े हुए थे। उनकी आंखें मानवता की सेवार्थ गुरु नानक आई सेन्टर में दान की गईं। समाज के लिए प्रेरक आदर्श प्रस्तुत करने वाले परिवार को हमारे नमन। दिवंगत आत्मा को हमारी श्रद्धापूर्ण श्रद्धांजलि।

श्री सुशील अग्रवाल
श्री सुशील अग्रवाल को 52 वर्ष की आयु में 14 सितम्बर, 2016 को देहावसान हुआ। एक सामान्य जीवन जीने वाले श्री सुशील ने अपने जीवन काल में ही अपने निकटस्थ मित्रों को अपने नेत्र दान करने की इच्छा व्यक्त की थी। प्रिय संबंधियों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मरणोपरांत उनकी आंखें वेणु आई सेन्टर में दान कीं। परिवारजनों के लिए हमारे नमन व दिवंगत आत्मा के लिए विनम्र श्रद्धासुमन।

श्री बाल कृष्ण कपूर
श्री बाल कृष्ण कपूर का जीवन समाज सेवा एवं राष्ट्रहित के कार्यों में बीता। उनका देहांत 16 सितम्बर, 2016 को हुआ। उनकी आयु 91 वर्ष थी। लगभग 5 साल वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। कई वर्ष वह झण्डेवालान कार्यालय में रह कर सेवा भारती का कार्य करते रहे। जीवन राष्ट्र कार्य में लगाया और नेत्र दान करके अपनी मृत्यु भी सफल कर दी। श्री कपूर की इच्छा का सम्मान करते हुए, निकटस्थ बंधुओं ने उनकी आंखें गुरु नानक आई सेन्टर में दान कीं। पवित्र आत्मा को शत-शत नमन व दधीचि परिवार की श्रद्धांजलि।

श्री राम टी. मनसुखानी
राजेन्द्र नगर, दिल्ली निवासी श्री राम टी. मनसुखानी का निधन 18 सितम्बर, 2016 को हुआ। उनकी आयु 95 वर्ष थी। उन्हें परिवार में चार पीढ़ियों के साथ रहने का सुख प्राप्त था। श्री मनसुखानी राजेन्द्र नगर सिंधी पंचायत के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे। देश में कहीं भी आई प्राकृतिक आपदा के समय वह दिल से प्रधानमंत्री राहत कोष में दान देते थे। उन्होंने अपने जीवन काल में ही दधीचि देह दान समिति के माध्यम से अपनी देह के दान का संकल्प ले लिया था। साधुवाद सभी परिवारजनों को जिन्होंने उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी देह ई.एस.आई. मेडिकल काॅलेज, फरीदाबाद को दान में दे दी और उनकी आंखें वेणु आई सेन्टर को दान कर दीं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें। यही हमारी श्रद्धांजलि है।

श्री राम
श्री राम की आंखें मरणोपरांत, 25 सितम्बर, 2016 को गुरु नानक आई सेन्टर में दान कर दी गईं। वह 85 वर्ष के थे। दिनौर, सोनीपत में गुरु प्रीति के आश्रम में उनकी अटूट श्रद्धा थी। स्वतः प्रेरणा से उन्होंने नेत्र दान का संकल्प लिया हुआ था, जिसे परिवारजनों ने पूरा किया। सरल व्यक्तित्व को हमारे प्रणाम। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे।

श्रीमती चुनिया देवी
इक्यानबे साल की श्रीमती चुनिया देवी ने लगभग 15 वर्ष पूर्व समाचार पत्र के माध्यम से देह दान के विषय को समझा और बेटों के सामने अपनी देह दान की इच्छा प्रकट की थी। यही नहीं, लगातार दृढ़ता से यह विषय अपने चारो बेटों के समक्ष रखती रहीं। दूरभाष से सम्पर्क करने पर उनके बेटों ने गर्व से अपनी मां की कर्मठता व दृढ़ निश्चय की बात कही और यह भी कहा कि दधीचि देह दान समिति के माध्यम से वह इस काम को सम्पन्न कर पाए। पति के डिफेन्स सर्विस में होने के कारण श्रीमती चुनिया देवी ने अकेले ही बच्चों को अनुशासित व संस्कारी बनाते हुए उच्च पदों पर पहुंचाया। नियमित जीवन जीने वाली श्रीमती चुनिया देवी की देह, मरणोपरांत 1 अक्टूबर, 2016 को लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज में दान कर दी गई। मानवता की सेवा के लिए यह अनूठा दान करके एक प्रेरक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए दधीचि परिवार के शत-शत नमन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें - ऐसी हमारी प्रार्थना है।

श्री सोहन लाल भाटिया
फरीदाबाद निवासी श्री सोहन लाल भाटिया का 3 अक्टूबर, 2016 को देहांत हुआ। उनके परिवारजनों ने उनकी आंखें दान करके मानवता की सेवा के लिए एक प्रशंसनीय कार्य किया। श्री सोहन लाल की आंखें वेणु आई सेन्टर को दान की गईं। दधीचि परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे।

श्री मोहन सिंह
श्री मोहन सिंह का निधन 3 अक्टूबर, 2016 को हुआ। वह 82 वर्ष के थे। अपने जीवन काल में वह लिविंग ट्रेज़र नामक संस्था से जुड़े रहे। यह संस्था गुरु ग्रन्थ साहिब की वाणी के गूढ़ार्थों के व्यावहारिक पक्ष को श्रद्धालुओं के सामने स्पष्ट करती है। और, उसी के आधार पर अच्छा जीवन जीना व परोपकार के कार्य करना सिखाया जाता है। अविवाहित रह कर वह परोपकार में लगे रहे। मरणोपरांत एक निकटस्थ संबंधी ने देह दान का विषय रखा तो श्री मोहन सिंह के भाइयों व परिवारजनों को मानवता की सेवा किए जाने वाले इस दान के लिए ज़रा भी नहीं सोचना पड़ा। मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए उनकी मृत देह एम्स में दान की गई। दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

डाॅक्टर शारदा गुप्ता
अस्सी वर्ष का जीवन अविवाहित रह कर, चिकित्सा क्षेत्र में सेवा भाव से कार्य करने वाली डाॅक्टर शारदा गुप्ता, एम्स की जानी-मानी चिकित्सक थीं। उत्तर प्रदेश सरकार में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थीं। सन् 1956 में लखनऊ (उ.प्र.) के किंग जाॅर्ज मेडिकल काॅलेज में अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करके, लगन व निष्ठा से अपने प्रोफेशन में गईं। डाॅ. शारदा की मृत्यु 13 अक्टूबर, 2016 को हुई, जिसके बाद उनकी इच्छानुसार उनकी मृत देह चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के लिए यू.सी.एम.एस (जी.टी.बी.) को दान में दे दी गई। धन्य हैं परिवारजन, जिन्होंने उनकी इच्छा का सम्मान किया। इस व्यक्तित्व को हमारे प्रणाम जिसका पूरा जीवन चिकित्सा क्षेत्र के लिए था और मरण भी उसी क्षेत्र की सेवा में समर्पित हुआ। दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार की सविनय श्रद्धांजलि।

श्री राजेन्द्र अग्रवाल
श्री राजेन्द्र अग्रवाल का देहांत 64 वर्ष की आयु में हुआ। प्राकृतिक चिकित्सा व योग को उन्होंने अपनी जीवनचर्या का अभिन्न अंग बनाया हुआ था। सबको स्नेह बांटने वाला यह व्यक्तित्व हरेक की समस्याओं का समाधान भी ढूंढ लेता था। व्यावसायिक क्षेत्र में अपने आस-पास के सभी व्यवसायियों की प्रत्येक समस्या का समाधान उनके पास निकल आता था। हर छह महीने में वह रक्त दान करते थे। अपनी इसी दान भावना को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपने नेत्र दान के लिए भी परिवार में भी कहा हुआ था। 13 अक्टूबर, 2016 को मरणोपरांत, उनके संबंधियों ने गुरु नानक आई सेन्टर में उनकी आंखें दान कीं। दिवंगत आत्मा के प्रति हमारे दधीचि परिवार के श्रद्धा सुमन।

श्रीमती दिलवती जैन
श्रीमती दिलवती जैन ने सराय काले खां ‘मानव मन्दिर’ के कार्यक्रम में अपने नेत्र दान का संकल्प पत्र भरा। अपने गृहस्थ जीवन के सभी उत्तरदायित्वों को पूरा करने में व्यस्त रहने वाली श्रीमती दिलवती का 94 वर्ष की आयु में 16 अक्टूबर, 2016 को देहांत हुआ। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके निकटस्थ संबंधियों ने उनकी आंखें गुरु नानक आई सेन्टर में दान कीं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दंे। मानवता की सेवा का एक प्रेरक कार्य करने के लिए दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

श्री बलराज पसरीचा
श्री बलराज पसरीचा का 88 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। उन्होंने अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन किया। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से हिन्दुस्तान में आकर बसे और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया। उनकी देह दान की इच्छा का सम्मान करते हुए उनके बच्चों ने, मरणोपरांत उनकी देह आर्मी मेडिकल काॅलेज को, चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के लिए दान में दे दी। उनकी आंखें वेणु आई सेन्टर को दी गईं। मानवता की सेवा के लिए किए गए इस पुण्य कार्य के प्रति दधीचि परिवार अपनी श्रद्धा अर्पित करता है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।