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श्रद्धा सुमन

असली सेवा तो यही है!

श्रीमती कृष्णा मिश्रा

गाजियाबाद के कवि नगर में रहने वाली श्रीमती कृष्णा मिश्रा का 88 वर्ष की आयु में,3 सितंबर,2021 को देहावसान हुआ। उनके पुत्र ने उनके विषय में हमें एक लिखित संदेश भेजा है
"श्रीमती कृष्ण मिश्रा का जन्म मेरठ में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून में कन्या गुरुकुल से पूरी की, जहां उन्होंने अकादमिक और अतिरिक्त पाठ्यचर्या, दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कई सालों तक वह स्कूल की हेड गर्ल रहीं। उन्होंने 1952 में मेरठ विश्वविद्यालय से हिंदी में प्रथम श्रेणी के साथ एमए किया। वह एक कर्तव्यपरायण गृहिणी थीं, और उसने चार बच्चोंएक बेटा और तीन बेटियों को, बहुत प्यार से पाला। वे परोपकार के मूल्य को समझती थीं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखें और शरीर दान करने का संकल्प लिया था।"
उनकी आंखें और शरीर दान करने का निर्णय पूरी तरह से उनका अपना था। उनके दृढ़ संकल्प को देखते हुए उनके पति ने भी देह दान का संकल्प लिया था, लेकिन
अफसोस की बात है, कोविड से उपजे व्यवधानों के कारण दान प्रभावी नहीं हो सका।
श्रीमती कृष्णा मिश्रा की इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार जनों ने उनका पार्थिव शरीर एम्स, दिल्ली में दान किया। आरपी सेंटर ,एम्स की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में ले कर गई । दान के क्रियान्वयन से परिवार ने समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रेरणा के स्तंभ के रूप में खड़े इस परिवार का हम सम्मान करते हैं। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें। हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री राजीव मिश्रा 95991 46726

उनकी जिंदगी तो तपस्या थी

श्रीमती ओमपती जैन

श्रीमती ओमपती जैन ने 75 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे दिल्ली के पीतमपुरा, में रहती थीं।उनके पुत्र ने आदर सहित उनका जीवन परिचय हमसे साझा किया है
“मेरी माता श्री ओमपति जैन की आंखें दान करवाने में श्री राजेश चेतन जी का बहुत बड़ा योगदान रहा। मेरी माता जी की हार्दिक इच्छा थी कि उनके मरने के बाद उनकी दोनों आंखें दान कर दी जाए। उनकी इस आखिरी इच्छा को उनके परिवार ने पूरा किया। माताजी बचपन से ही जैन संस्कारों से ओतप्रोत थीं। जैन संस्कार उनके शरीर के रोमरोम में बसते थे। 

हमारे जैन धर्म में एक शब्द आता है संथारा, इसका मतलब है आखरी समय में जाने वाला जीव स्वेछा से धीरे धीरे अन्न जल का त्याग कर देता है । उनकी इस प्रबल भावना को उनके पुत्र अजीत जैन व उनके पोते अनंत जैन ने पूरा किया। माता जी के अंतिम समय में परिवार उनके पास था। अंतिम समय में उनकी छोटी बेटी कुसुम जैन व उनके दामाद सनत जैन ने बड़ी सेवा की। मैं उनका इकलौता बेटा आखिरी समय में सेवा करने से वंचित रह गया, यह मेरा बहुत बड़ा दुर्भाग्य है ,लेकिन इस बात की बड़ी खुशी भी है कि उनकी संथारा की इच्छा को उनके पोते अनंत जैन ने पूरा किया।
माताजी लगभग 30 वर्षों से वर्षी तप की आराधना कर रही थी। वर्षी तप का मतलब होता है एक दिन आहार करना, एक दिन व्रत करना। मेरी बड़ी ताई जी भी अपनी देवरानी ओम पति के नक्शे कदम पर चलते हुए लगभग 21/ 22 वर्षों से वर्षी तप की आराधना कर रही है।

माता जी का जन्म जींद जिले के बीटानी गांव में लाला श्री कांशीराम जी के यहां हुआ। माता जी के चार भाई व दो बहनें हैं । माताजी का सारा परिवार धर्म के संस्कारों से ओतप्रोत है।
माता जी का विवाह पानीपत जिले के सुप्रसिद्ध राजा खेड़ी गांव के में श्री गोकुल चंद जैन के सुपुत्र श्री बाबूराम जैन के साथ हुआ था। माताजी पानीपत सकल जैन समाज में अपना एक विशेष स्थान रखती थीं और तपस्विनी माता के नाम से प्रसिद्ध थीं ।दिल्ली पीतमपुरा समाज में भी माता जी का यही स्थान था।”
स्व. ओमपती जैन की नेत्रदान की इच्छा का सम्मान कर के परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । 6 सितंबर,2021 को गुरु नानक आई सेंटर की टीम उनके नेत्र ससम्मान दान में लेकर गई ।परिवार का साधुवाद । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री अजीत जैन 98960 35820

...और उनकी जिंदगी पूर्ण हुई

श्री पूरन सिंह बिष्ट

श्री पूरन सिंह बिष्ट ने 88 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया । वे नोएडा में रहते थे ।उनके पुत्र ने अपने पिता पर हमें एक लिखित संदेश भेजा है
“स्व. श्री पूरन सिंह बिष्ट मूल रूप से ग्राम जस गोट पट्टी, पोस्ट ऑफिस देहल चोरी, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड के निवासी थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह जिले से ही प्राप्त की तथा स्नातक की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरी की। उन्होंने 1958 में नई दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो में सरकारी सेवा की शुरुआत की तथा अगस्त 1992 में भूतल परिवहन मंत्रालय, नई दिल्ली से अकाउंट ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। उनका मानना था कि जिंदगी बहुत छोटी है ।उसे हम खुश रहकर बिताएं और ऐसे लोगों के साथ बिताएं जो आपको महसूस कराए कि आप उनके लिए जरूरी हैं। इसलिए उन्होंने खुश रहने और मुस्कुराते रहने को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाया। पूरी जिंदगी उनकी यही कोशिश रही कि उनके कामों से जरूरतमंदों के चेहरों पर खुशी आए।
आज की परिस्थितियों को देखते हुए वह हमेशा कहते थे कि अच्छा काम करने में अक्सर परेशानियां तथा कठिनाइयां आएंगी ही, पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप परेशानियों को देखकर हार मान लें और अच्छा काम नहीं करें ।उनका यह भी विचार था कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, अगर आप दूसरों के लिए भी सोचें, जिएं और करें... तो उससे बड़ा पुण्य कोई नहीं हो सकता तथा इसके लिए वह हमेशा प्रयासरत रहे।“
15 सितंबर,2021 को उनका पार्थिव शरीर एम्स में छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया ।एम्स के आरपी सेंटर की टीम ने उनके नेत्र भी ससम्मान दान में लिए। परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा को हम सविनय अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ।
संपर्क सूत्र : पुत्र श्री सतिंदर बिष्ट 9971 682428

परोपकार की सुगंध रह गई

श्रीमती त्रिशला वंती जैन

श्रीमती त्रिशला वंती जैन ने 7 अक्टूबर,2021 को 87 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे गुड़गांव में रहती थीं। उनके पुत्र ने हमें उनके विषय में एक लिखित संदेश भेजा है

“फूल सूख जाता है पर उसकी सुगंध रह जाती है। जिंदगी की भी है कुछ ऐसी ही दास्तान, जाने वाले चले जाते हैं, पर उनकी याद रह जाती है। ऐसी ही कुछ मधुर यादें मेरी मां श्रीमती त्रिशलावती जैन अपने पीछे छोड़ गई हैं।
श्रीमती त्रिशलावती जैन (धर्मपत्नी स्वर्गीय श्री मदन लाल जैन) एक धर्मनिष्ठ, कर्तव्यपरायण महिला थीं। उनका जन्म सन् 1934 में जम्मू में हुआ था। बचपन से ही धर्म के प्रति विशेष झुकाव था। जैन धर्म के बहुत से नियम उन्होंने अंगीकार किए और जीवन भर उनका पालन किया। सादा जीवन उच्च विचार, उनके जीवन का मूलमंत्र था। गुरुओं के प्रति उनके मन में सच्ची श्रद्धा थी। परिवार में वरिष्ठ होने के नाते, उन्होंने अपनी जिम्मेवारियों को बहुत अच्छे से निभाया। अपने बच्चों का पालनपोषण भी बहुत अच्छे ढंग से किया और उन में अच्छे संस्कार डाले। सभी प्रकार की हस्तकला एवं पाक कला में उनकी निपुणता थी और अतिथि सत्कार का गुण भी उनमें विशेष रूप से था।

गुरुजनों के उपदेशों का उनपर बहुत प्रभाव होता था, तभी तो काफी समय पहले उन्होंने देहदान का संकल्प किया। ये इतना क्रांतिकारी कदम था, सब सोच कर हैरान होते थे। इसके पीछे जैन धर्म का मूलभूत सिद्धांत अहिंसा का भाव ही था। मृत देह का अग्नि संस्कार करने में लकड़ी जलाने से असंख्या जीवो की हिंसा होती है और प्रदूषण भी होता है। इस साथ यह विचार भी मन में बस गए थे कि मृत शरीर एवम् उसके उपयोगी अंग कई लोगों व काम आएंगे और कई लोगों को नया जीवन मिलेगा। उनकी दोनों आंखों के दान से भी दो नेत्रहीन व्यक्तियों को दृष्टि मिली। मेडिकल जगत आपका सदैव ऋणी रहेगा। युगयुग तक आपका यह अनुमोदनीय कार्य याद रखा जाएगा। दधिचि देह दानसमिति और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद आई हॉस्पिटल की मेडिकल टीम ने उनके नेत्रदान को लेकर जो अभूतपूर्व सहयोग दिया उसके लिए उनका पूरा परिवार आभारी है।

दधीचि देह दान समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री दिनेश जैन 971719 885

अब उनकी आंखें देखेंगी इस खूबसूरत दुनिया को

श्री गंगे प्रसाद गर्ग

रोहिणी निवासी श्री गंगे प्रसाद गर्ग का देहावसान 8 अक्टूबर,2021 को हुआ। वे 65 वर्ष के थे। वे एक परिश्रमी व्यक्ति थे। स्वभाव से सरल और परिवार में सब का ध्यान रखने वाले स्वर्गीय गंगे प्रसाद को बागवानी का भी शौक था। परिवार जनों ने उनके मरणोपरांत उनके नेत्रदान का काम कर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार जनों का अभिवादन। हमारी विनम्र प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री नितिन 730 322 66 63

असली धर्म तो यही

साध्वी मंजुलाश्री जी महाराज

साध्वी मंजुलाश्री जी महाराज का 88 वर्ष की आयु में 12 अक्टूबर,2021 को महाप्रयाण हुआ। उनकी दीक्षा के 71 वर्ष हो गए थे। महासती जी मानव मंदिर मिशन ट्रस्ट के संस्थापक पूज्य आचार्य श्री रूपचंद्र जी महाराज के संघ की प्रमुख और संचालिका थीं। देह दान समिति को इस ट्रस्ट और ट्रस्ट के हर सदस्य का शुभाशीष प्राप्त है। साध्वी जी के नेत्रदान की व्यवस्था, एम्स की टीम के द्वारा सम्मान के साथ की गई । धर्म और समाज की सेवा का पुण्य कार्य करने वाली दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि देह दान समिति का पूरा परिवार श्रद्धानवत है।

संपर्क सूत्र : साध्वी समता श्री जी 9999 609878

सत्संग से संकल्प तक

श्रीमती ओमवती जैन

श्रीमती ओमवती जैन का 75 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली में करावल नगर की निवासी थीं । उनके पुत्र ने श्रद्धा पूर्वक उन्हें स्मरण करते हुए बताया कि वे राधा स्वामी सत्संग से जुड़ी हुई थीं । वहीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था । उनका जीवन ईमानदार रहा। वे आजीवन सत्संग सेवा से जुड़ी रहीं। अपने सात बच्चों का भलीभांति लालनपालन करके सबको योग्य बनाया।

अपनी माता जी के संकल्प का सम्मान करते हुए बच्चों ने उनके दिवंगत होने पर 17 अक्टूबर,2021 को उनके नेत्रदान करवाए। मानवता की सेवार्थ किए जाने वाले इस पुण्य दान के लिए परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र, दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार की तरफ से श्रद्धा सुमन।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री राजेश तंवर 98108 57799

परलोक जाते हुए इहलोक में सत्कार्य

श्री बंसी लाल धमीजा

श्री बंसी लाल धमीजा ने 69 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे शालीमार बाग में रहते थे। उनके पुत्र ने आदर सहित उनके विषय में बताया कि वे बहुत खुले विचार वाले जिंदादिल इंसान थे। परिवार का बहुत ध्यान रखते थे। हर किसी की यथासंभव सहायता करते थे।

नेत्रदान का संकल्प उन्होंने खुद लिया था। उनके परिवारवालों ने उनके संकल्प का सम्मान किया और उनके देहावसान के बाद नेत्रदान कराया। इसके लिए उनके परिवार का अभिवादन।

गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान 22 अक्टूबर,2021 को मरणोपरांत उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री विशाल 870 059 3731

परोपकार की मिसाल

श्री रामगोपाल जी

72 वर्ष की आयु में श्री रामगोपाल जी ने परलोक गमन किया। वे गाजियाबाद के नेहरू नगर में रहते थे। उनके परिवार के सदस्यों से हुई बातचीत से पता चला कि दधीचि देह दान समिति गाजियाबाद के सह संयोजक डॉ कमल अग्रवाल से प्रेरित होकर राम गोपाल जी ने देहदान का संकल्प लिया था। वे धार्मिक व्यक्ति थे।परोपकार में मगन रहते थे। वैश्य समाज और सोसाइटी में उनकी विशेष सक्रियता थी। एम्स के छात्रों की पढ़ाई के लिए उनका पार्थिव शरीर 24 अक्टूबर,2021 को दान में दिया गया।

चिकित्सा जगत को एक अमूल्य योगदान देने के लिए उनके परिवार वालों का अभिवादन। ईश्वर से हम प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री शरद गुप्ता 9311004598

समाज को रोशनी दे गईं वो

कंचन जेसवानी

"मेरे पिताजी की आंखों की रोशनी एक ऑपरेशन के दौरान चली गई थी। वे हर समय मेरी मां का हाथ पकड़कर ही चलते थे। हमसे ज्यादा और कौन महसूस कर सकता है आंखों की रोशनी की कीमत को...," ये मार्मिक वचन फोन पर भर्राई आवाज में श्री विक्रम के थे।
24 अक्टूबर को श्री विक्रम ने अपनी माताजी का, मरणोपरांत नेत्रदान गुरु नानक आई सेंटर में किया। उकी मां कंचन जेसवानी को 64 वर्ष की उम्र मिली। जिंदगी भर वे अपने परिवार के लिए संघर्ष करती रहीं। वे सरल स्वभाव और धार्मिक विचारों वाली महिला थी।
उनके घर के पास अक्सर सत्संग होता था। वहां वे नियमित जाती थीं। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री विक्रम 98116 80220

मानवता की सेवा में महादान

श्रीमती भिरावां बाई

श्रीमती भिरावां बाई ने 89 वर्ष की आयु में 20 अक्टूबर,2021 को परलोक गमन किया। वे दिल्ली के मोती नगर में रहती थीं। अपनी गृहस्थी की देखभाल के साथसाथ, गुरुद्वारे में भी उनका नियमित जाना होता था। उनके पुत्र ने बताया कि उनके मरणोपरांत, परिवार के लोगों के बीच नेत्रदान की सहमति बनी। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनकी आंखें दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में यह महादान कर के परिवार ने, समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है । हम उनका अभिवादन करते हैं। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार की ओर से विनम्र प्रार्थना।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री राकेश 98115 55667

अमर हो गया राधा देवी तेरा नाम

श्रीमती राधा देवी

पलवल निवासी श्रीमती राधा देवी ने 91 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की । उनके पुत्र ने आदर के साथ उनके विषय में हमें लिख कर भेजा है
"वैदिक धर्म में आस्था रखने वाले आर्य समाजी परिवार में जन्म लेने के कारण राधा देवी को बचपन में ही आर्य संस्कार मिले थे। बचपन से ही उन्होंने लोगों की सेवा करना अपने ध्येय बना लिया था। गृहस्थ जीवन में कठोर परिश्रम करके अपने सात बच्चों को अच्छे संस्कार देकर शिक्षित किया। आतिथ्य सत्कार उनमें कूटकूट कर भरा हुआ था। उनका स्वभाव बहुत मधुर था और इलाके के लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे।
मनोबल की धनी श्री राधा देवी ने देहदान का संकल्प लेकर एक आदर्श उपस्थित किया है। पलवल का यह पहला देहदान है। कर्मठ और ईश्वर भक्त माता जी का देहदान, श्री मनोज छाबड़ा के सहयोग से, माता जी के पुत्र श्री वीरेंद्र विरमानी तथा धेवते श्री दिनेश आर्य ने विधिपूर्वक करवाया। उनके इस परोपकार को देखकर मन बरबस उनको प्रणाम करने लगता है"अमर हो गया राधा देवी तेरा नाम,नतमस्तक हो करते तुम्हें प्रणाम। जनजन की प्यारी हो गई किया देह का दान। नतमस्तक हो करते तुम्हें प्रणाम।"
पलवल से दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज तक पार्थिव शरीर को लाने की व्यवस्था करते समय, परिवार ने देहदान को लेकर जो अपने दृढ़ संकल्प और धैर्य का परिचय दिया है, वह अभिनंदनीय है। समिति परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री वीरेंद्र विरमानी 7015 1220 43

श्रीमती सुदर्शन सेठ का सुंदर काम

श्रीमती सुदर्शन सेठ

श्रीमती सुदर्शन सेठ ने 85 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया ।वे रोहिणी में रहती थीं । उनके पुत्र से फोन पर हुई बातचीत से पता चला कि वह एक घरेलू महिला थीं। आर्य समाज के विचारों से प्रभावित थीं। अपने पारिवारिक दायित्वों के वहन में लगी रहती थीं । 6 नवंबर,2021 को उनके मरणोपरांत उपस्थित निकट संबंधियों में से किसी ने उनके नेत्रदान करवाने की बात कही और फिर परिवार में सहमति बन गई ।
नई दिल्ली के गुरु नानक आई सेंटर की टीम, ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई । मानवता की सेवा के लिए किए गए इस महादान के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री संजय सेठ 99581 58038

परोपकार की माई कमला

सुश्री कमला

सुश्री कमला का 72 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे रोहिणी में रहती थीं। चिकित्सा जगत के सेवार्थ, उनके परिवार ने 8 नवंबर,2021 को उनका पार्थिव शरीर, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई । समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए परिवार द्वारा किए गए महादान के लिए उनका साधुवाद । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : बहन श्रीमती आशा 99108 82034

आखिर तक समाज के काम आईं वो

श्रीमती माया गर्ग

श्रीमती माया गर्ग ने 65 वर्ष की आयु में 15 नवंबर,2021 को अपनी इह लीला समाप्त की। वे शास्त्री नगर में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक बताया कि वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं। पूजापाठ नियमित करती थीं। वे मंदिरों में दान देने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं । समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता रामधन जी ने परिवार से संपर्क साध कर उचित समय नेत्रदान की व्यवस्था में सहयोग किया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम, ससम्मान स्व. माया गर्ग के नेत्र दान में लेकर गई। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री राकेश 98114 82885

समाज में एक अनूठा उदाहरण

श्री विनय जैन

श्री विनय जैन का 80 वर्ष की आयु में 16 नवंबर को देहावसान हुआ। वे अशोक विहार में रहते थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में उत्साहपूर्वक चर्चा की। स्वर्गीय विनायक को घूमने का बहुत शौक था। देशविदेश की कई यात्राएं उन्होंने की। हर कार्य वे स्वयं करना चाहते थे । रसोई घर में भी उनका दखल रहता था। जीवंत और जिंदादिल इंसान थे। उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर, समाज में एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है । गुरु नानक आई सेंटर की टीम उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई । परिवार का अभिवादन । दधीचि परिवार की ओर से दिवंगत आत्मा को श्रद्धा सुमन।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री मनीष जैन 98118 60362

आंखों में दुनिया का दर्द

श्रीमती रेखा गांधी

" मेरी बेटी की आंखें नहीं है, मेरी आंखें उसे दे देना," अक्सर कहा करती थीं स्व.रेखा गांधी। उनकी बहू लगभग रोते हुए बताती हैं कि "ऐसा तो हम नहीं कर पाए, लेकिन नेत्रदान कर हम सब बहुत संतुष्ट हैं कि उनकी आंखें कहीं न कहीं तो रोशनी देगी ही।"
20 नवंबर,2021 को 66 वर्ष की आयु में श्रीमती रेखा गांधी का देहावसान हुआ और उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर को दान में दिए गए । उनकी आंखों में दुनिया का दर्द दिखता था। सामाजिक दायित्वों के प्रति अपनी जागरूकता का यह एक अनूठा उदाहरण है। कन्हैया नगर का यह परिवार अभिवादन का पात्र है। दधीचि परिवार ईश्वर से प्रार्थना करता है कि दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दे।
संपर्क सूत्र : पुत्रवधू श्रीमती सोनिया 98684 69024

ये दुनिया रखेगी याद

श्रीमती माधुरी श्रीवास्तव जी

श्रीमती माधुरी श्रीवास्तव जी का निधन 92 वर्ष की आयु में 22 नवंबर, 2021 को हुआ। वह सिद्धार्थ एक्सटेंशन में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में हमें विस्तृत जानकारी लिखकर इस प्रकार भेजी है....
"उनका जन्म लखनऊ में हुआ। वह वहां के जानेमाने डाक्टर श्री त्रिभुवन नाथ वर्मा जी की सबसे बड़ी सपुत्री थी। उनका विवाह इलेक्ट्रिकल इंजीनियर श्री गिरीश प्रसाद श्रीवास्तव के साथ 2 फरवरी, 1953 में हुआ था। शादी के बाद उन्होंने बीए और एम ए किया। वह एमए द्वय थीं। वह धार्मिक ग्रंथ पढ़ने‌ में अधिक रुचि रखती थीं। राम राम लिखना और मंदिर भिजवाना उनकी रोज की दिनचर्या का हिस्सा था।वह एक संस्कारी , स्नेहमयी , कर्मठ व सादगी पसंद महिला थीं। अपने सामर्थ्य से बढ़ कर जीवन भर सबकी मदद करती रहीं। स्वभाव से मिलनसार थीं और खुश रहती थीं।
अपने पुत्र राजकमल एवं पुत्री नीलू को अच्छे संस्कार दिए। नातिन ओजस्वी उन्हें बेहद प्यारी थी। हाल ही में उन्होंने उन्होंने अपनी शादी की 60वीं वर्षगांठ बहुत उत्साह से प्रिय जनों ‌के साथ मनाया था।
विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाना और उनकी रेसिपी टीवी में देखने का उनका निराला जुनून था। हर क्रिकेट मैच देखना और सारे खिलाड़ियों की निजी जिंदगी तक का ब्योरा रखना भी उनका शौक था। "कौन बनेगा करोड़पति" प्रोग्राम हर रोज देखती थीं।

परिवार की शादियों की वो रौनक थीं। हर रस्मोंरिवाज के गीत व नृत्य में सभी को शामिल कर लेने की भी कला उनमें थी। उन्हें संगीत से बहुत लगाव था और खुद गाती भी थीं। आज वह कहीं भी हों , लेकिन जो संस्कार अपने परिवार को दे गईं, वह सदा उनके होने का अहसास कराते रहेंगे।"
परिवार ने उनके नेत्रदान व देहदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । उनके नेत्र आरपी सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए स्व.माधुरी का पार्थिव शरीर दान में दिया गया। परिवार का अभिवादन। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री राजकमल 98113 20658


हम सब को मिलती रहेगी रोशनी

श्री महेंद्र गुप्ता

श्री महेंद्र गुप्ता का 56 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे करोल बाग में रहते थे। उनकी पत्नी ने हमें ये भावपूर्ण संदेश भेजा है
" महेंद्र जी के परिवार में सभी बाल्यकाल से ही स्वयंसेवक थे।वह भी अपने जीवन काल में स्वयं सेवक रहे। राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत परिवार में उनका लालनपालन हुआ। भवन निर्माण के कार्य में रुचि होने के कारण इन्होंने अपनी आजीविका के लिए अपना सारा कौशल होटल के निर्माण में लगा दिया। होटल एसोसिएशन में उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए होटल संबंधी कई तरह की समस्याओं का उन्होंने समाधान करवाया। केशव सहकारी बैंक में 9 वर्ष तक डायरेक्टर के पद पर रहते हुए भी उन्होंने समाज की सेवा की। वह संस्कृति दर्शन समिति में भी सदस्य रहे । उन्होंने ढेर सारे लोगों के तीर्थों की यात्राएं कराईं।
सबों से मिल कर रहना, हंसना हंसाना,सब की समस्याओं को अपनी समस्या बनाकर समाधान ढूंढना, यही उनकी जिंदगी थी। मन, विचार व व्यवहार में सदा एकरूपता रही।
महेंद्र जी के आकस्मिक निधन से पत्नी के रूप में मेरे लिए तो एक अंधेरा सा ही हो गया है । एक पिता के रूप में उन्होंने परिवार निर्माण में अपनी संतान को जो संस्कार दिए हैं ,वही अब जीवन की राहों पर हमारे लिए रोशनी का काम करेंगे।"
दधीचि परिवार, स्वर्गीय महेंद्र गुप्ता के परिवार का अभिनंदन करता है कि असमय मृत्यु की वेदना के समय भी उन्होंने महेंद्र जी की देहदान व नेत्रदान की इच्छा का सम्मान किया। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में उनकी देह चिकित्सा शास्त्र के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान में दी गई। गुरु नानक आई हॉस्पिटल की टीम उनके नेत्र ससम्मान दान में लेकर गई। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।
संपर्क सूत्र : पत्नी श्रीमती कविता गुप्ता 9999 603016


बहुत कुछ सिखा गईं वो

श्रीमती पुष्पा गोयल

श्रीमती पुष्पा गोयल ने 88 वर्ष की आयु में अंतिम सांस लीं। वे नोएडा के सेक्टर 14 में रहती थीं। उनकी बेटी ने हमें उनके विचारों और जीवन शैली का परिचय देते हुए एक लिखित संदेश भेजा है
श्रीमती पुष्पा गोयल का पार्थिव शरीर, उनके परिवार द्वारा 28 नवंबर, 21 को दान कर दिया गया। उन्होंने काफी समय पहले नेत्रदान का वादा किया था। उनका ये वादा तो पूरा हुआ ही, परिवारवालों ने उसके शरीर को भी दान करने का फैसला किया, क्योंकि उन्होंने अपने पूरे जीवन में बहुतों को बहुत कुछ दिया।
परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों, परिचितों और अजनबियों को समान रूप से मदद करना, निस्वार्थ भाव से हमेशा दूसरों की जरूरतों को अपने सामने रखना, और एक प्यारी मुस्कान के साथ सभी की सेवा करना, यही तो थी उनकी जिंदगी। उन्होंने अपने जीवन में कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना किया, लेकिन कभी भी, न तो कोई शिकायत की और न ही अपनी बीमारियों से लड़ने की इच्छा शक्ति ही कम होने दी।
उन्होंने पटियाला में एक स्कूल भी चलाया। उनका जीवन फौलादी संकल्प, अथक परिश्रम और सज्जन व्यक्तित्व का एक उदाहरण है।"
चिकित्सा जगत की सेवा में अपना अनूठा योगदान देने के लिए हम परिवार का साधुवाद करते हैं । दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार की भावांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्री डॉक्टर हिना नंदराजोग 98106 93946

मरने के बाद भी जो काम आए

श्रीमती चंद्रकांता

श्रीमती चंद्रकांता का 83 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के गीता कॉलोनी में रहती थीं । उनके पुत्र ने हमें बताया, "वे अक्सर कहती थीं, कि मेरे मरने के बाद जो कुछ भी किसी के काम आ जाए, दे देना । वे हमेशा अपने परिवार को जोड़कर चलीं। दिन भर धर्म ध्यान में रहती थीं। उन्होंने तीन उपध्यान तप भी किए । सब के प्रति उनका समता का भाव था।

3 दिसंबर,2021 को स्व. चंद्रकांता के नेत्र एम्स के आरपी सेंटर, की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । मानवता की सेवार्थ किए गए इस महादान के लिए परिवार जनों का साधुवाद। दिवंगत आत्मा को समिति परिवार सविनय श्रद्धा सुमन अर्पित करता है ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री मानक चंद 93101 02035

जिएं तो कुछ जिएं ऐसे

श्रीमती कृष्णा नागपॉल

श्रीमती कृष्णा नागपॉल 18 दिसंबर को परलोक सिधार गईं। उनकी बहू ने हमें उनके बारे में लिख भेजा है
" मम्मीजी 94 साल की थीं। वह बहुत ही सुंदर और सुलझी हुई इंसान थीं। ईश्वर में उनकी अगाध आस्था थी । वह ट्रेंड नर्सरी टीचर थी, पर उन्होंने शादी के बाद अपने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी की खातिर नौकरी नहीं की। तीन पुत्रों की मां और एक पत्नी का कर्तव्य उन्होंने खूब निभाया। तीनो बहुओं को बेटियों की तरह रखा। उनकी वजह से हम बहुएं नौकरी कर सके।
वह पाक कला में बहुत निपुण थीं। बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती थीं। उन्हें मेहमान नवाजी का भी बहुत शौक था। किसी को भी वह घर से बिना खाना खाए, जाने नहीं देती थीं। वह पोतेपोतियों का बहुत ख्याल रखती थीं। उनके साथ रहने की वजह से मुझे उनका ढेर सारा प्यार और सानिध्य मिला।
पापाजी की बीमारी में उन्होंने उनकी बहुत सेवा की। वर्ष 2001 में पति के निधन पर उन्होंने उनकी आंखें दान कर अपनी सूझ बूझ और मानवता के प्रति सेवा भाव का प्रमाण दिया। पति की मृत्यु के बाद वह हताश नहीं हुईं। अपने आप को समाज सेवा व धार्मिक कार्यों में लगाया। वह सतपाल महाराज जी और अमृता माताजी का बहुत सम्मान करती थीं और उनके सत्संगो में जाती थीं। नएनए कपड़े बनवाना उन्हें बहुत पसंद था। वह दान भी बहुत करती थीं। नारायण सेवा संस्थान उदयपुर को हर साल डोनेशन देती थी। पंजाबी बाग आश्रम में भी दान पुण्य करती थी। अपने दो बेटों की असामयिक मौत से वह काफी दुख में भी रहीं, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। वह समय की बहुत पाबंद थी। अपना सारा काम खुद ही करना पसंद करती थी । बस आखिरी एक दिन, वह अपने बिस्तर से नहीं उठीं और रात को महाराज जी का चरणामृत लिया था। सुबह 6.30 बजे ब्रह्म मुहूर्त में उन्होंने प्राण त्याग दिए,पर जाने के बाद भी वह अपनी आंखों से कई लोगों के जीवन में रोशनी दे गईं। काश सभी लोग ऐसी जिंदगी पाए! मम्मी! जिंदगी की हर खुशी और तकलीफ में सम भाव से रहना आप से सीखने को मिला है। हम सबको आपकी बहुत याद आती है।“
ये उदगार हैं ग्रेटर कैलाश निवासी नेत्रदानी स्व. कृष्णा नागपाल की पुत्रवधू के । समाज के लिए जागरूक सोच रखने वाला परिवार अभिनंदनीय है। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू डॉक्टर प्रीति राय 98100 35737

कैसे भूले कोई इनको

श्रीमती उर्मिला देवी

श्रीमती उर्मिला देवी का 19 दिसंबर को देहावसान हुआ । वे मथुरा में रहती थीं ।अंगदान और देहदान के लिए जागरूकता के कार्य करने में अग्रणी, मथुरा निवासी श्री कैलाश अग्रवाल अपने इस विषय में निष्ठा पूर्वक लगे हैं। अपनी माता जी का स्वर्गवास होने पर उन्होंने दधीचि देहदान समिति के सहयोग से फरीदाबाद ईएसआई मेडिकल कॉलेज में पार्थिव शरीर दान किया। स्व. माता जी की स्मृति में की गई शोकसभा में भी मुख्य रूप से देहदान विषयक जानकारियां साझा की गई। परिवार का इस विषय के प्रति दृढ़ संकल्प व उसके अनुरूप ही आचरण अभिनंदनीय है । ईश्वर स्व. माता जी को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री कैलाश अग्रवाल 70178 69893


जिंदगी को जोड़ना कोई इनसे सीखे

श्री भोलाराम मलिक

श्री भोलाराम मलिक ने 24 दिसंबर,2021 को अपनी जीवन लीला समाप्त की। उनके पुत्र ने हमें उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है
" श्री भोला राम मलिक ने अपने जीवन के 77 वर्ष परोपकार एवं सेवा में समर्पित कर एक ऐसा जीवन जिया, जो हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। 1944 में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले के कोटअद्दू शहर में जन्मे, भोला राम जी जब विभाजन के उपरांत दिल्ली आए तो इतनी विषम परिस्थितियों के बीच भी उन्होंने पढ़ने की ललक नहीं छोड़ी और खुद को सक्षम बनाया।
वह उस समय अपने परिवार में सबसे अधिक पढ़ने वाले एक मात्र व्यक्ति थे | उन्होंने इंजीनियरिंग की थी। पहले तो भारतीय सेना को दो वर्ष दिए फिर रेलवे में भर्ती हुए। लखनऊ में रेलवे के आरडीएसओ डिपार्टमेंट में बतौर इंजीनियर 35 वर्ष की सेवा की। लखनऊ में ही उनका विवाह श्रीमती राज मलिक से हुआ । उनके 2 पुत्र और २ पुत्रियां हैं। अपने माता पिता से वह अत्यधिक प्रेम करते थे । उनकी जिंदगी में सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत भी उनके माता पिता ही थे। उन्होंने अपना अत्यधिक जीवन दिल्ली में व्यतीत किया | पश्चिमी दिल्ली के रमेश नगर में उन्होंने अपने दो भाइयों के परिवारों के साथ जीवन निर्वाह करते करते अपने पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन का आनंद उठाया। वर्ष1985 के आसपास उन्हें योग से जुड़ने की प्रेरणा प्राप्त हुई, जिसके बाद मानो उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य मिल गया हो। उन्होंने योग को जनजन तक ले जाने का बीड़ा उठाया। भारतीय योग संस्थान में अपना सेवा दान देते हुए हजारों लोगों को योग अपनाने की प्रेरणा देने में समर्थ रहे। भोला राम जी ने अपने परिवार, अपने कार्यालय और अन्य सामाजिक कर्तव्यों के साथसाथ योग द्वारा सैंकड़ों अन्य लोगों को स्वास्थ्यलाभ पहुंचा कर भारतीय योग संस्थान के 'जियो और जीवन दो' के आदर्शवाक्य को सत्य भी कर दिखाया उन्होनें अपने बच्चों, पोते पोतियों और दोते दोतियों को अपने संस्कार दे एक सुखी जीवन बिताया। आज सोशल मीडिया के दौर में जब लोग फेसबुक वगैरह पर अपने 100 अनजाने लोगों से जुड़ जाने पर खुशी जाहिर करते हैं, वहीं भोला राम जी ने दस हजार से अधिक लोगों के जीवन को छुआ, उन्हें प्रभावित किया और उन का मार्गदर्शन भी किया |
अक्टूबर, 2020 में उनकी पत्नी का देहांत हुआ और 30 जून, 2021 को जब उनके बड़े पुत्र गुलशन की अकस्मात् मृत्यु हुई तो भोला राम जी इस दुःख को नहीं सहन कर पाए और धीरे धीरे उनका स्वास्थ बिगड़ने लगा और 24 दिसंबर, 2021 को उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए | मृत्यु के बाद भी किसी के काम आने का विचार था उनका और उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया था। परिवार जनों ने उनकी इच्छा का सम्मान तरते हुए उनका नेत्र दान दधीचि देह दान समिति के माध्यम से पूर्ण हुआ।"
स्व. भोलाराम के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई।इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र सचिन 991 0094 830

एक निर्मल मन का महादान

श्रीमती निर्मल वढेरा

श्रीमती निर्मल वढेरा ने 80 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया ।वे दिल्ली के प्रीतमपुरा में रहती थीं। उनके विषय में उनके पुत्र ने हमें लिखित में जानकारी दी है
" मां! तेरे लिए क्या लिखूं, तूने ही तो मुझे लिखना सिखाया। मां का दूसरा नाम जन्नत है। मेरी मां निर्मल वढेरा जी का जन्म 25 अगस्त, 1940 को हुआ था। शादी श्री तिलक राज वढेरा जी से 12 अक्टूबर, 1960 को हुई और 11अक्टूबर, 2020 को पति जी की मृत्यु के बाद भी परिवार को एक डोर में बांधे रखते हुए 28 दिसंबर, 2021 को अंतिम सांस तक वह दूसरों के लिे जीती रहीं।

निर्मल वढेरा जी का बचपन फाजिल्का (पंजाब) में बीता। उनके पिता श्री मेला राम जी वहां पटवारी थे। निर्मल जी ने बाद में भाईभाभी के पास दिल्ली में रह कर पहाड़ गंज गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। कढ़ाई, सिलाई में भी उन्होंने डिप्लोमा किया और दिल्ली क्षेत्र में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्हें ईश्वर में गहरी आस्था थी।
अपने पति के साथ उन्होंने सदव्यवहार और संयमित जीवन व्यतीत किया और कठिन समय में भी कंधे से कंधा मिलाकर चलीं। उनके लिए अतिथि सचमुच देव की तरह था।

निर्मल वढेरा जी ने शादी के बाद सयुंक्त परिवार में रहकर एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अपने सास ससुर की बहुत सेवा की,पांच ननदों को बहुत प्यार दिया। अपनी तीन बेटियों और एक बेटे को समाज में रहने की कला सिखाई। अपनी इकलौती बहु को बेटी जैसा प्यार दिया और पोते संकल्प वढेरा और पोती पल्लवी वढेरा को भरपूर प्यार और दुलार दिया।"
उनकी बहु सीमा ने एक बेटी की तरह निर्मल वढेरा को मां माना। खूब सेवा की। इस काम में बेटे ने भी अच्छे बेटे का फर्ज अदा किया। निर्मल वढेरा जिंदगी में दान को बहुत महत्वपूर्ण मानती थीं। इसलिए उन्होंने दधीचि देह दान समिति के माध्यम से अपने नेत्र दान का संकल्प कई साल पहले लिया था। 28 दिसंबर,2021 को आरपी. सेंटर, एम्स की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । परिवार जनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री राजन वडेरा 98101 05877