Home
Print
Next
Previous

स्पेन की ब्रेन डेड महिला ने बचाई 4 भारतीय और एक लेबनानी मरीज की जान

स्पेन की रहने वाली टेरेसा मारिया फर्नांडीज एक ग्रुप के साथ पर्यटक के तौर पर भारत आईं थीं। 5 जनवरी को उन्हें ब्रेन स्ट्रोक का अटैक हुआ जिसके बाद उन्हें जसलोक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।

मुंबई के जसलोक अस्पताल में उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद 67 वर्षीय स्पेनिश महिला ने 5 लोगों को अंगदान कर नई जिंदगियां दी हैं , इनमें से 4 भारतीय नागरिक हैं , जबकि एक लेबनान का रहने वाला शख्स है। स्पेनिश महिला के परिवार ने अंग दान करने पर सहमति जताई जिसके बाद 5 लोगों को नया जीवन मिल गया।

स्पेन की रहने वाली टेरेसा मारिया फर्नांडीज एक ग्रुप के साथ पर्यटक के तौर पर भारत आईं थीं। 5 जनवरी को उन्हें ब्रेन स्ट्रोक का अटैक हुआ जिसके बाद उन्हें जसलोक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। जहां न्यूरोलॉजिस्ट डॉ आजाद ईरानी और न्यूरोसर्जन डॉ सुधीर अंबेकर ने उनका ऑपरेशन किया। डॉ अम्बेकर ने बताया, “स्पेनिश महिला की हालत में सुधार नहीं हुआ और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।”

स्पेनिश महिला की तबीयत खराब होने की खबर सुनकर उनका बेटा और बेटी दोनों मुंबई पहुंचे। स्पेनिश महिला की बेटी एक डॉक्टर है, उसने कहा कि उसकी मां हमेशा से अंग दान करना चाहती थी। इस तरह से स्पेनिश महिला का परिवार उसके अंगों को दान करने के लिए तैयार हो गया। महिला के फेफड़े, यकृत और गुर्दे भारतीय मरीजों को दिए गए थे। स्पेनिश महिला का दिल एक लेबनानी नागरिक को दिया गया था। उसकी हड्डियां और नसें भी दान कर दी गईं। उनके लीवर ने मुंबई के एक 54 वर्षीय डॉक्टर की जान बचाने में मदद की।

नानावती अस्पताल में कार्यक्रम निदेशक, हेपेटोलॉजी और ट्रांसप्लांट मेडिसिन डॉ चेतन कलाल के तहत प्रत्यारोपण किया गया था। डॉक्टर कलाल ने बताया, “महिला का लीवर डाइबिटीज और मोटापे की वजह से खराब हो गया था, जिसकी वजह से साल 2019 में उसके लीवर में खराबी आई थी। पीड़ित महिला ने उचित मेडिकल खर्च के लिए तैयार थी लेकिन परिवार में कोई भी उसे लीवर डोनेट करने की स्थिति में नहीं था, जिसकी वजह से उसका ट्रांसप्लांट नहीं हो सका था। बीते दो महीनों में लीवर के खराबी की खराबी की वजह से उसका स्वास्थ्य अचानक से खराब होना शुरू हो गया था।”

डॉ अम्बेकर ने कहा कि लोगों को उस परिवार से सीखना चाहिए जिसने बिना किसी हिचकिचाहट के विदेशों में अज्ञात लोगों को अंग दान कर दिए। “हमें उन्हें दान के लिए परामर्श देने की भी आवश्यकता नहीं थी क्योंकि वे स्वयं अंगदान करना चाहते थे। उन्होंने हम सभी के लिए एक बेहतरीन उदाहरण पेश करके दिखाया कि कैसे मानवता भौगोलिक सीमाओं के भीतर सीमित नहीं है।”

(जनसत्ता से साभार)