Home
Print
Next

देह और अंगदान के लिए राष्ट्रीय अभियान

दधीचि देहदान समिति की रजत जयंती उत्सव पर देश की स्वयंसेवी संस्थाएं एक मंच पर अंगदान और देहदान पर देशव्यापी विमर्श की शुरुआत

“हमारी सांस्कृतिक परंपरा है कि हम केवल अपने लिए नहीं सोचते, दूसरों के लिए भी सोचते हैं। देहदान और अंगदान हमारी इसी परंपरा का हिस्सा है।” केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मांडविया ने एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में अपने यह उद्गार प्रकट किए। दधीचि देहदान समिति, दिल्ली द्वारा देहदान अंगदान पर राष्ट्रीय अभियान के रूप में एक इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अभियान का शुभारंभ एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में एक कॉन्क्लेव से हुआ। 3 सितंबर, 2022 को दिन भर चली इस चर्चा में देश के 22 राज्यों से 46 गैर सरकारी संस्थाओं और चिकित्सा क्षेत्र की 10 संस्थाओं ने भाग लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस कॉन्क्लेव का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित किया और उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें कॉन्क्लेव में पारित किए प्रस्ताव पर वे अवश्य अपने विभाग से विमर्श करेंगे। सिक्किम के राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद चौरसिया, नोटो के ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रमोशन प्रोग्राम के नेशनल कन्वीनर डॉ. अनूप कुमार, आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, सी. वोटर के संस्थापक श्री यशवंत देशमुख, डॉ. हर्षवर्धन, सुश्री मीनाक्षी लेखी, श्री सुशील मोदी, डॉ. वेणुगोपाल जैसे गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति से इस कान्कलेव में देहदान और अंगदान के लेकर कई तरह के नए विचारों का जन्म हुआ।

नोटो द्वारा अंगदान पर एक विस्तृत रिपोर्ट और सी वोटर के सर्वे ने विषय में आगे काम करने की चुनौती को सबके सामने रखा। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारत में 85 प्रतिशत लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि मरने के बाद उनके शरीर या अंग किसी काम भी आ सकते हैं। चर्चा से कुछ और बातें भी सबके ध्यान में आई। भारत के उत्तरी राज्यों में सोटो (State organs and tissue transplant Organization) की अनुपस्थिति के कारण इस दिशा में प्रयासों की बहुत कमी है। ट्रामा सेंटर, और न्यूरो सर्जरी अस्पतालों में ऐसे परामर्शदाताओं की आवश्यकता है, जो जनसाधारण की शंकाओं का समाधान कर सके। परिवार का विश्वास बनाए रखें। ट्रांसप्लांट सेंटर व हार्वेस्ट सेंटर हर प्रांत में, जहां अब तक नहीं है, कम से कम एक प्रांत में एक की व्यवस्था की जाए।

कार्यक्रम के अंत में एक प्रस्ताव आया कि राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल रखने के लिए समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार समन्वयक के रूप में कार्य करें। देश में सभी संस्थाएं स्वतंत्र कार्य करे व दिल्ली की समिति तालमेल करने वाली एजेंसी के रूप में रहे।

3 सितंबर को ही विभिन्न प्रांतों से आए देहदान,अंगदान पर काम करने वाले एनजीओ के प्रतिनिधियों के सम्मान में दिल्ली के नागरिकों की ओर से रात्रिभोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि, स्वास्थ्य राज्यमंत्री सुश्री आरती पवार ने सरकारी स्तर पर इस नेक काम से जुड़े स्वयंसेवी संस्थाओं की अपेक्षाओं को गौर किया और उनसे सुझाव भी मांगे। इस भोज में दिल्ली के लगभग 300 गणमान्य व्यक्ति व मेडिकल क्षेत्र के सम्मानित लोग उपस्थित रहे।

स्वस्थ सबल भारत के इस राष्ट्रीय अभियान का समापन जनपथ स्थित अंबेडकर सेंटर के हॉल में हुआ। इस कार्यक्रम में माननीय उपराष्ट्रपति की गरिमामयी उपस्थिति में समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘सकारात्मकता से संकल्प विजय का’ का लोकार्पण साध्वी भगवती सरस्वती जी द्वारा हुआ। दिल्ली के प्रभात प्रकाशन से छपकर आई इस किताब की संकलनकर्ता दधीचि देह दान समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती मंजू प्रभा हैं। साध्वी जी ने पुस्तक की पहली प्रति माननीय उपराष्ट्रपति को भेंट की। इस अवसर पर माननीय उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि समिति को अंगदान के प्रति सामाजिक सक्रियता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। यह एक संवेदनशील विषय है। इसमें मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका भी है। उन्होंने अंगदान के लिए आवश्यक तंत्र स्थापित करने का उल्लेख भी किया।

खचाखच भरे हॉल में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से पधारी साध्वी भगवती जी ने हाथ उठाकर सबसे प्रतिज्ञा करवाई, “हम देहदान अंगदान के लिए संकल्प लेते हैं और संकल्प लेते हैं कि समाज को इस काम के लिए जागरूक करेंगे”। जब उन्होंने यह कहा कि “मैं संन्यासिनी होकर भी अपने अंगदान करके कई लोगों को जीवन दान दे सकती हूं”...तो यह बात सबके दिलों में उतर गई।

श्री सुशील मोदी ने उपस्थित जनसमूह को सामने कॉन्क्लेव में हुई चर्चा को सारगर्भित रूप से रखा। समिति के संस्थापक अध्यक्ष व संरक्षक श्री आलोक कुमार ने देहदान विषय पर राष्ट्रीय अभियान की योजना को संक्षेप में बताया और देश भर से आए अतिथियों को भरोसा दिलाया कि यह अभियान अब अवश्य गति पकड़ेगा।

समिति की स्थापना, 25 वर्ष पूर्व नानाजी देशमुख द्वारा देहदान के संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर करने से हुई थी। आज 300 सक्रिय व समर्पित कार्यकर्ता समिति के साथ जुड़े हैं। 17000 लोग समिति के माध्यम से देहदान अंगदान का संकल्प ले चुके हैं। अभी तक समिति द्वारा 353 देहदान, 870 नेत्रदान व अंगदान हुए हैं। समिति ने अपने रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में इस राष्ट्रीय अभियान की संकल्पना को मूर्त रूप दिया। इस द्वी दिवसीय कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री हर्ष मल्होत्रा,अध्यक्ष, श्री कमल खुराना, महामंत्री, डॉ. विशाल चड्ढा, संयुक्त महामंत्री के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का निरंतर सहयोग व कर्तृत्व फलीभूत हुआ। श्री आलोक कुमार की दूरगामी सोच का यह निश्चित परिणाम होगा कि हम स्वस्थ सबल भारत की ओर अग्रसर होते रहेंगे। इस कार्यक्रम में जिन संस्थाओं के वरिष्ठ सहयोगी मौजूद रहे, उनमें से

से कुछ नाम हैं- डोनेट लाईफ, रामन्तवर चैरिटेबल ट्रस्ट, दृष्टि सेवा समिति, शोभाबाई नेत्रालय, हेल्पिंग हैंड्स, किरण फाउंडेशन, कमल न्यू लाईफ फाउंडेशन, लाईट अ लाईफ-रीना राजू फाउंडेशन, आर्गन इंडिया, शाइन इंडिया, स्नेह बंधन ट्रस्ट, सुखकर्ता फाउंडेशन, शतायु-द गिफ्ट ऑफ लाइफ, वी 4 आर्गन्स फाउंडेशन, युग दधीचि देहदान संस्थान, द फेडरेशन ऑफ आर्गन एंड बॉडी डोनेशन, अम्मा आई ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन प्रमोटर्स ऑर्गनाइजेशन।

इसके एक दिन बाद 4 सितंबर,2022 की शाम ‘आवाज देश की’ कार्यक्रम के लिए संसद टीवी ने देश भर से आए अतिथियों से बातचीत की और अपने कैमरे में शूट किया और उसी दिन प्रसारित भी किया। देहदान और अंगदान विषय पर आधारित इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री आलोक कुमार,श्री विमल कुमार जैन और नोटो की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती वासंती रमेश थीं।