Home
Print
Previous

श्रद्धा सुमन

दूसरों की जिंदगी में रोशनी

श्रीमती संतोष

श्रीमती संतोष का 81 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के केशवपुरम में रहती थीं। उनकी पुत्रवधु ने हमें उनके बारे में ढेर सारी बातें बताईं। श्रीमती संतोष दादा लक्ष्मी के सत्संग में जाती थीं। घर में सबका बहुत ध्यान रखती थीं। स्वत: प्रेरणा से ही उन्होंने नेत्रदान की इच्छा अपने घर में जताई थी। परिवार जनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 3 सितंबर को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान किए। मानवता की सेवा में किया जानेवाला यह दान समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: पुत्रवधु, श्रीमती नीलम- 77385 60509

इहलोक को आंखे देकर परलोक

श्रीमती बिठिका घोष

श्रीमती बिठिका घोष ने 4 सितंबर को अपनी जीवन यात्रा समाप्त की। 71 वर्षीय श्रीमती घोष कोलकाता निवासी थीं। उनकी पुत्री ने आदर सहित उनके विषय में फोन पर लंबी चर्चा की। श्रीमती घोष के पति का देहांत अल्पायु में ही हो गया था। इसके बाद उन्होंने बहुत मेहनत से अपनी तीन लड़कियों को अच्छी शिक्षा दिलाकर योग्य नागरिक बनाया। अपनी मां के त्याग को बेटियां बहुत सम्मान से याद करती है। उनकी इच्छा के अनुरूप उनका नेत्रदान कर के परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार जनों को साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्री, सुश्री देबजानि मजूमदार-93322 83362

उनके दिल में ' कल्याण ' था

श्रीमती आशा चोपड़ा

श्रीमती आशा चोपड़ा का 84 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे दिल्ली के कीर्ति नगर में रहती थीं। उनकी बेटी से पता चला कि उन्होंने 2010 में देहदान का संकल्प लिया था। धार्मिक पुस्तकें पढ़ने में उनकी रुचि थी। 'कल्याण' हमेशा उनकी प्रिय पत्रिका रही। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 13 सितंबर को उनका पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में चिकित्सकीय अध्ययन के लिए दान किया। चिकित्सा जगत की सेवा में यह एक अमूल्य दान है। परिवार जनों का हम अभिवादन करते हैं। ईश्वर से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्री, श्रीमती नीतू लुम्बा 92134 33266

दुनिया उन्हें भूल नहीं पाएगी

डॉ. एस.के. अग्रवाल

डॉ. एस.के. अग्रवाल का 14 सितंबर को देहावसान हुआ। वे 84 वर्ष के थे। छोटी आयु से ही इन्होंने अपने परिवार को सहारा दिया। होम्योपैथी के प्रति इतनी लगन थी कि नौकरी करते हुए रात्रिकालीन कॉलेज में होम्योपैथी की शिक्षा ली और फिर क्लीनिक शुरू किया। उन्हें 50 वर्ष का होम्योपैथी में इलाज का अनुभव था। उनके बेटे, जो स्वयं भी होम्योपैथी के डॉक्टर हैं, ने श्रद्धा से उनके विषय में लिख कर भेजा है-

'Homoeopathic Physician Dr SK Agarwal Was dedicated to Homoeopathy and service of humanity! Founder member of Dr SP Chatterjee Memorial Health Association, Jamshedpur. Renowned Homoeopathic doctor in Delhi. Wanted to contribute to the progress of medical science even after death, and had pledged his body to be donated thru Dadhichi Deh Daan Samiti for the same.

चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए उनका पार्थिव शरीर, गुरु ग्राम स्थित उनके निवास से, एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया गया। परिवार का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: डॉ अमित अग्रवाल- 98 11 7876 6879

नाम के अनुरूप काम

श्रीमती शुभलता जैन

श्रीमती शुभलता जैन का 25 सितंबर को देहावसान हुआ। वे पश्चिम विहार में रहती थी। उनका पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया गया। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति विनम्रता से श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र : देहदान के बाद से एन.आर.आई. परिवार से कोई संपर्क नहीं हो सका।

परमार्थ के लिए एक बड़ी प्रेरणा

श्री लाल चंद सोनी

श्री लाल चंद सोनी का 97 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे दिल्ली के पश्चिम विहार में मियांवाली नगर में रहते थे। उनके भतीजे ने उनके विषय में सम्मान सहित लिखकर भेजा है-

"सब कुछ परमात्मा का है और यह जीवन परमात्मा का दिया हुआ है। इस जीवन को परमार्थ में लगाना चाहिए। शरीर में अंग एक बार मिलते हैं। भगवान ने यह शरीर हमें मुफ्त में दिया है , इसलिए परमार्थ के लिए इसका उपयोग करें। शरीर का कोई भी अंग कोई डॉक्टर, हकीम या वैज्ञानिक नहीं बना सकता। इस जीवन रूपी नैया को पार करने के बाद कृपया इसे व्यर्थ में न जलाएं । क्योंकि मृत शरीर को जलाने में बहुत प्रदूषण होता है और सबके लिए हानि होती है। इसलिए देहदान करके अंधे को रोशनी व और अंगों से किसी को जीवनदान करें। केवल दिखावे के रीति-रिवाजों को छोड़कर मरने के बाद परमार्थ के लिए अपने शरीर का उपयोग करें। मेरी आप सबसे विनती है कि मरणोपरांत अवश्य ही देहदान का संकल्प लेकर पुण्य कमाएं।"

26 सितंबर को उनका पार्थिव शरीर एम्स में दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह अनुपम दान है । स्व. लालचंद के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। समाज में नेत्रदान और देहदान का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र :भतीजा, श्री मनोज सोनी-91362 23343

परोपकार की परंपरा में विजय

सुश्री विजय गुलाटी

सुश्री विजय गुलाटी ने 78 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे रमेश नगर में रहती थी। उनके भांजे ने बहुत आदर व गर्व के साथ उनके विषय में चर्चा की। कुछ स्वास्थ्य संबंधी कारणों से सुश्री विजय ने अविवाहित रहने का निर्णय लिया। वे बहुत नरम स्वभाव की व मीठा बोलने वाली थीं। शारीरिक रूप से उनकी सक्रियता कम रहती थी, पर वे भावनात्मक रूप से सबसे बहुत जल्दी जुड़ाव कर लेती थीं। सबकी मदद को हर क्षण तैयार रहनेवाली सुश्री विजय की आर्य समाज में विशेष श्रद्धा थी। उनका पूरा परिवार ही नेत्रदान, अंगदान के प्रति रुचि रखता है। 30 सितंबर को स्व.गुलाटी के नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। नेत्रदान के क्रियान्वयन के लिए परिवार जनों का आभार। दिवंगत आत्मा को दधीचि परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है ।

संपर्क सूत्र: भांजा, श्री अमित पटनी-88001 10853

एक नेक पाठ पढ़ा गए वे

श्री एन. एन. धींगरा

श्री एन. एन. धींगरा का 3 अक्टूबर, 2022 को देहावसान हुआ। वे 85 वर्ष के थे। वे दिल्ली के मालवीय नगर में रहते थे। श्री धींगरा का पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया गया। राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का हम अभिवादन करते हैं। ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री हेमंत- 98102 87754

समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण

श्री फतेह चंद बुट्टा

श्री फतेह चंद बुट्टा 90 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गए। दिल्ली के दिलशाद गार्डन निवासी श्री बुट्टा ने 2015 में अपना देहदान का संकल्प पत्र भरा था। उनके पुत्र ने बहुत सम्मान के साथ याद करते हुए उनके विषय में जानकारियां दी। स्व.फतेहचंद एक भरे पूरे संयुक्त परिवार के मुखिया थे। परिवार व समाज में उनका सम्मान था। आरएसएस के एक समर्पित कार्यकर्ता रहे। परिवार को बहुत संतोष व गर्व है कि सबने उनकी देहदान की अंतिम इच्छा का सम्मान किया। यूसीएमएस, जीटीबी अस्पताल में 17 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए इस पार्थिव शरीर ने प्रथम गुरु का स्थान प्राप्त किया। योग्य चिकित्सकों के निर्माण में उपयोगी यह देहदान समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री सुनील गुप्ता-98115 94217

मदद की भावना अंत तक बनी रही

श्रीमती कुसुम मित्तल

श्रीमती कुसुम मित्तल का 19 अक्टूबर को देहावसान हुआ। वे गुरुग्राम में रहती थीं। उनके पुत्र ने सम्मानपूर्वक उन्हें याद करते हुए, हमें उनके विषय में लिखित संदेश भेजा है-

'श्रीमती कुसुम मित्तल बहुत ही विनम्र और दयालु थीं। वह हमेशा गरीबों की मदद करती थीं। वह सामाजिक कार्यों में हमेशा से ही आगे रहीं। इंद्रप्रस्थ अग्रवाल समाज की ट्रस्टी एवम् महिला अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने सामाजिक कल्याण को हमेशा स्वयं से ऊपर रखा। उनका मानना था कि योग, शारीरिक एवम् मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। वह नियमित रूप से सुबह योग करती थीं और लोगो को नि:शुल्क योग सिखाती थीं। जीवन में उन्होंने हमेशा अपनी संकल्प शक्ति से कठिन से कठिन समस्याओं से संघर्ष कर उन्हें पार किया। वह अपने पूरे परिवार से बहुत स्नेह करती थी। उन्हें बुनाई का भी शौक था और सभी परिवार जनों के लिए स्वेटर, मफलर एवम् टोपी प्रेमपूर्वक बुनती थीं। उनकी हमेशा से यही इच्छा थी कि उनके स्वर्गवास के पश्चात उनके अंगों को जरूरत मंद लोगों के लिए दान किया जाए। भगवान उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे, एवम् शांति प्रदान करे।”

78 वर्षीय स्व. कुसुम के नेत्र आर.पी. सेंटर, एम्स की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में किया जानेवाला यह अमूल्य दान समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है। परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पौत्र, श्री तनुष-98990 00424

अंतिम सांस तक समाज सेवा

सुश्री मानसी जैन

सुश्री मानसी जैन ने 42 वर्ष की अल्पायु में ही परलोक गमन कर लिया। वे दक्षिणी दिल्ली के गौतम नगर में रहती थीं। परिवार के घनिष्ठ मित्र ने उनके सामाजिक जीवन के बारे में विस्तृत चर्चा की। सुश्री मानसी समाज सेवा के कई प्रकल्पों से जुड़ी थीं। कोविड काल में सब तरह का सहयोग करने के लिए, प्रथम पंक्ति की समर्पित कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय दायित्व निभाए। 'नेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर रिहैबिलिटेशन' में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। परिवार में उनकी माताजी का ब्रेन डेड होने पर उनके सभी अंग दान किए गए थे। स्व. मानसी की अपनी इच्छा के अनुरूप उनकी आंखें गुरु नानक आई सेंटर में दान की गई । 22 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर भी एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया गया। वियोग की दुखद घड़ी में देहदान जैसा साहसिक कार्य करने के लिए हम स्व. मानसी के पिताजी को नमन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: मित्र, श्रीमती नीरा पारिख-98103 49790

सच्चे सम्मान के हकदार

श्री इंद्र मोहन गोयल

श्री इंद्र मोहन गोयल का 71 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे नोएडा के राम विहार रहते थे। उनके पुत्र ने सम्मान पूर्वक उन्हें याद करते हुए एक लिखित संदेश भेजा है-

'He always taught us to be independent and fearless in every situation. He had strong will power that motivated everyone around him. He gave equal opportunities and never differentiated between boys and girls. He inculcated same values in his children.

He truly believed in and followed the principle "Live and let others live. "Really positive person who handled all the ups and downs in his life with a smile on his face. Never complained even in most difficult times.

Strong willed, could do anything once he made up his mind.

Very open minded, not afraid to go on a different path from others. Always tried to help everyone around him.”

वे एक खुले दिमाग के व्यक्ति थे। 'मरणोपरांत मेरा यह शरीर आने वाली पीढ़ी के किसी तरह काम आ सके ', उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए, परिवार ने 23 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर फरीदाबाद के ईएसआई मेडिकल कॉलेज में छात्रों की पढ़ाई के लिए दान कर दिया। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र,श्री विश्वमोहन गोयल- 98882 22433

छोटी उम्र, बड़ी प्रेरणा

सुश्री प्रगति

सुश्री प्रगति ने 21 वर्ष की आयु में अपनी जीवन लीला पूर्ण थी। वे जनकपुरी में रहती थीं। 24 अगस्त को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने नेत्रदान का निर्णय लेकर मानवता की सेवा में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है । परिवार जनों का अभिवादन । ईश्वर निर्मित शरीर के नेत्र ही किसी नेत्रहीन को रोशनी दे सकते हैं। इस दान का मूल्य किसी तरह भी आंका नहीं जा सकता। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : मां, श्रीमती रुचिका 98119 98654

उनकी जिंदगी एक अमूल्य किताब

श्रीमती बच्ची देवी

श्रीमती बच्ची देवी का 80 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे बल्लभगढ़ में भीम सेन कॉलोनी की निवासी थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा सहित उन्हें याद करते हुए फोन पर बात की। उनका जीवन संघर्षमय रहा। उन्होंने किताबी शिक्षा प्राप्त नहीं की, पर जिस लगन व मेहनत से अपना घर संभाला वह याद रखने योग्य है। अड़ोस-पड़ोस में सबसे प्रेमभाव व सम्मानजनक व्यवहार था। नेत्रदान के लिए वे स्वयं बार-बार याद दिलाती रहीं। उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार जनों ने 27 अक्टूबर को मरणोपरांत उनके नेत्र आर.पी सेंटर, एम्स में दान कर दिए। मानवता की सेवा में यह एक अतुलनीय दान है। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री राजेश- 98117 93030