Shri Nanaji Deshmukh
"11/Oct/1916 – 27/Feb/2010"

501

504

501
Meeting of Social Media Group at 11:30AM, 23th December 2017                         Meeting of Social Media Group at 11:30AM, 23th December 2017

दधीचि देह दान समिति - एक परिचय

1993 में 10 युवकों ने अपनी देहदान की वसीयत रजिस्ट्रार के दफ्तर में जाकर की। कानूनी प्रावधान के अनुसार वसीयत पर हस्ताक्षर करने वाला एक रक्त संबंधी सबके साथ था। मानवता के लिए देहदान व अंगदान करने की उत्कट इच्छा सबमें थी। यहाँ वहाँ से जानकारियाँ भी मिलती थी कि मेडिकल कॉलेजों की कैडेवर (मृत शरीर-जिसे लेपादि द्वारा सुरक्षित रख कर शिक्षणार्थ उपयोग में लाया जाता है) की आवश्यकता पूर्ति ठीक से नहीं हो पाती। साथ ही साथ चिकित्सकीय विज्ञान की प्रगति के साथ-2 शल्य क्रिया द्वारा अंगों के प्रत्यारोपण के सफल प्रयोग भी बहुत सुने। पर आवश्यकता थी उन अंगों को प्राप्त करने की। इन विषयों पर गंभीर चर्चा होते-2 हमारी इच्छा ने समिति का रूप धरण किया।

मिश्रिख (सीतापुर) में दधीचि आश्रम है। वहाँ जो मूर्ति है उसमें दधीचि के शरीर पर दही व नमक का लेप किया हुआ है और गाय उसे चाट रही है। शरीर धीरे-2 गल रहा है। जिससे उनकी हडिड्या वज्र बनाने के लिए देवताओं को प्राप्त हुई। शांतिभाव लिए हुए दधीचि मानवता के लिए आध्यात्मिक संदेश दे रहे हैं - शरीर से मोह कैसा ? यह तो मिट्टी का है। इस मिटटी को भी काम लिया जा सकता है - लिया जा रहा है। इसी भावना को प्रचारित प्रसारित करने का संकल्प हम समिति के माध्यम से कर रहे थे इसलिए ‘दधीचि देह दान समिति’ नाम रखना संगत लगा।

दधीचि देह दान समिति एक पंजीकृत संस्था है। अभी हम केवल दिल्ली में काम कर रहे है। हमारा काम है समाज में देहदान/अंगदान की स्वीकार्यता बाना, इसकी व्यवस्था करना एवं देहदानी, उसके परिवार व अस्पताल के बीच में एक सुविधाजनक संपर्क सूत्र का काम करना।

हम वर्ष में एक बार देहदानियों का उत्सव करते है जिसमें देहदान/अंगदान का संकल्प करने वाले व्यक्तियों की वसीयत करवाते है एवं उनको पहचान पत्र व प्रमाणपत्र देते है। इस विषय से जुड़े प्रश्नों का समाधान करना भी इस उत्सव का उद्देश्य रहता है। धार्मिक जगत, चिकित्सा क्षेत्र व सामाजिक क्षेत्र में प्रतिष्ठित महानुभावों के विचार व प्रामाणिक तथ्यों की जानकारी का आदान प्रदान इसमें करने की कोशिश रहती है।

प्रारम्भ में यह कार्य मौलाना आजाद मैडिकल कॉलेज के सहयोग से शुरू हुआ। मरणोपरांत देहदानी का शरीर लेने अस्पताल की गाड़ी का समय पर पहुंचना, शव का मेडिकल कॉलेज को हस्तांतरण, अंगदान की दशा में अंग निकाल कर शव संबंधियों को वापस सौंपना, मृत्यु प्रमाण पत्र संबंधी औपचारिकता - ये सब कार्य समुचित व्यवस्था के अंतर्गत हो जाएं इनमें हम बहुतायत में सफल हुए है। अभी तक देहदान समिति के माध्यम से 47 देह मैडिकल कॉलेजों को समर्पित की जा सकी है। इनमें मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैडिकल साईसिज़, नेहरू होम्योपैथी कॉलेज - प्रमुख है। नेत्रदान के लिए हमें गुरू नानक नेत्र चिकित्सालय व वेणु आई सेंटर से विशेष सहयोग मिलता है। मरने के 4 से 6 घंटे के भीतर आंखे दान हो जाती है। अभी तक समिति के माध्यम से लगभग 200 आंखे दान की जा चुकी हैं। व्त्ठव् (आर्गन रिट्रीवल बैंकिग आर्गेनाइजेशन), केंद्रीय सरकार की इस विषय की प्रतिनिधि संस्था है। हमें संतोष है कि हम अच्छे ताल-मेल के साथ इन सब से जुडे है।

आप भी हमारे इस यज्ञ में सहभागी बन सकते हैं:-
1.स्वयं देहदान/अंगदान का संकल्प करके
2.समिति के कार्यो में अपना योगदान देकर
3.समिति को आर्थिक सहायता प्रदान कर
(समिति को दिया गया दान आयकर की धारा 80 जी के अंतर्गत कर मुक्त है)

आलोक कुमार,
एडवोकेट अध्यक्ष दधीचि देह दान समिति