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प्रतिबद्ध जीवन-रक्तदान की मिसाल

जेम्स क्रिस्टोफर हैरिसन, जिन्हें “मैन विथ द गोल्डन आर्म” कहा जाता था, का 17 फरवरी 2025 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में 88 वर्ष की आयु में शांतिपूर्ण निधन हो गया । उनका असाधारण जीवन ही शिक्षा, प्रेरणा और मानवता का जीवंत उदाहरण है।हैरिसन ने मात्र एक बांह से मिलने वाले दुर्लभ एंटीबॉडी की सहायता से छह दशकों तक 1,173 बार प्लाज़्मा दान कर वह उन चुनिंदा व्यक्तियों में शामिल हुए, जिनकी वजह से आज लाखों नवजातों की जान बच सकी।

उनके प्लाज़्मा से तैयार की गई Anti‑D टीका से “हेमोलेटिक डिजीज ऑफ़ द फेटस एंड न्यूबॉर्न” को रोका जाता था—इससे कई रोगग्रस्त शिशुओं को बचाया गया। 1960 के दशक में जब Anti‑D उपलब्ध नहीं था, उस वक्त जेम्स की प्लाज़्मा ही इस ट्रीटमेंट की शुरुआत थी ।

उनकी रक्तदान यात्रा तब शुरू हुई जब 14 वर्ष की आयु में उन्हें फेफड़ों की सर्जरी के दौरान 13 यूनिट रक्त चढ़ाया गया। यही अनुभव उनकी जनसेवा के मार्ग की शुरुआत बना — 18 साल की उम्र से उन्होंने नियमित रूप से रक्तदान प्रारंभ किया। 2018 में 81 वर्ष की आयु में नियमशः रक्तदान की उम्र सीमा पार करने तक, उन्होंने हर दो सप्ताह में बिना किसी अवकाश के रक्तदान जारी रखा । उनके कुल 1,173 प्लाज़्मा दान से तैयार लाखों Anti‑D डोज़ के सहारे, 2.4 मिलियन से अधिक नवजात शिशुओं को जीवनदान मिला।

उनके निधन पर लाइफब्लड के सीईओ स्टीफन कॉर्नेलिसन ने कहा, “जेम्स की उदारता, शांतिपूर्ण कृतज्ञता और जीवनभर सेवा ने दुनिया को छुआ … उन्होंने उम्मीद जताई थी कि कोई एक दिन उनका रिकॉर्ड तोड़ेगा”

हैरिसन का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति की छोटे से अनुदान ने दुनिया में कितनी बड़ी परिवर्तन लाया जा सकता है। रक्तदान न सिर्फ एक महादान है, बल्कि यह पीढ़ियों के लिए जीवन और स्वास्थ्य की गारंटी भी बनता है।

रक्तदान महादान का यह संदेश विशेषकर हमारे लिए प्रेरणादायी है,क्योंकि जेम्स जैसे लोग ही हमें दिखाते हैं कि “आज आप दान करें, तो कल किसी की दुनिया संवर जाए”।

उनके जाने का शोक मनाते हुए, हम नमन करते हैं—उनकी अनमोल सेवा, उनकी निधि, और उनकी महानता को।