भारत में लाखों वर्षों से चली आ रही मानवता की परंपरा, जो कि महर्षि दधीचि ने आरंभ की थी, उसी के हम वाहक हैं। पिछले 25 वर्षों में देहदान-अंगदान के विषय में दधीचि देहदान समिति ने एक बड़ा काम खड़ा कर लिया है। देहदान और अंगदान के निष्पादन की व्यवस्थाएं दिल्ली और उसके आस-पास सुचारु रूप से हो पाती हैं।
इंटरनेट का जमाना है। वेबसाइट, वेबजीन और सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे भारत में देहदान-अंगदान के काम को दधीचि देहदान समिति के नाम से जाना जाता है। दिल्ली के बाहर हमने नॉलेज पार्टनर के रूप में अपनी भूमिका रखी है। पटना, जालंधर, कोटा और देहरादून में हमने अंगदान-देहदान के कार्य को खड़ा करने में सहायता की। इंदौर-हैदराबाद, जहां ये सब काम चल रहे हैं, उनसे भी चर्चा होती रहती है। अभी ऐसा समझ में आता है कि पूरे भारत में अंगदान-देहदान के काम को देश के स्तर पर समन्वयात्मक रूप से भी सोचना चाहिए।
समिति का रजत जयंती वर्ष चल रहा है। इस नाते दधीचि जयंती पर समिति ने एक बड़ा सम्मेलन करने का निश्चय किया है। हरिद्वार में आयोजित चिंतन बैठक में यह विचार हुआ कि देहदान-अंगदान विशेषकर देहदान से संबंधित जो भी सरकारी नियम और प्रावधान हैं, वे देश भर के लिए एक जैसे हो जाएं। उदाहरण के तौर पर, अगर एक देह को मेडिकल कॉलेज की गाड़ी लेने आती है तो उस गाड़ी के साथ टेक्नीशियन या डॉक्टर होना चाहिए। सम्मानजनक रूप से देह को रिसीव करना, पुष्प आदि कुछ अर्पित करना, इसका प्रोटोकॉल निर्धारित होना चाहिए। इस तरह के व्यवहारिक पक्ष को लेकर सरकार द्वारा पूरे देश में एक जैसी व्यवस्थाएं तय हों... इस तरह के काम के लिए हरिद्वार में हमने मिलकर निश्चित किया कि देश भर में अंगदान-देहदान के लिए काम करने वाली सभी संस्थाओं को दो दिन के लिए दिल्ली बुलाया जाए और समिति द्वारा एक बड़ा सम्मेलन किया जाए। सब मिलकर चर्चा करें और इस काम के लिए कुछ एकरूपता निकलकर आए। सरकार की भागीदारी भी हो इस कार्यक्रम में।
आदरणीय आलोक जी के मार्गदर्शन में हम स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मांडविया जी से मिले थे। आदरणीय सुशील मोदी जी भी साथ थे। प्रारंभिक चर्चा में हमने मंत्री जी को बताया कि हम सम्मेलन में क्या निष्कर्ष निकालना चाहते हैं और हमें सरकार की क्या सहायता चाहिए। अच्छी बात है कि स्वास्थ्य मंत्री ने सम्मेलन में उपस्थित रहने की सहमति दी। देश भर में इस कार्य के प्रावधान समरूप होने चाहिए, ऐसा उन्होंने भी सहज ही महसूस किया। स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति का अर्थ है कि सरकारी तंत्र में स्वास्थ्य सचिव, ओर्बो और नोटों के उच्चाधिकारी, मेडिकल कॉलेजों के डीन तथा एनाटॉमी के प्रमुख भी उसमें भाग लें। सम्मेलन के बाद दिल्ली में एक बड़ी जनसभा हो, जिसमें समाज के कुछ प्रभावशाली लोगों को भी आमंत्रित किया जाए। बड़ी सभा में धार्मिक संस्थाओं के वरिष्ठ धर्मगुरु भी रहें, ताकि उस सभा और सम्मेलन में से हम देहदान-अंगदान के आंदोलन के लिए कुछ निष्कर्ष निकाल पाएं। जो भी साथी मेरा यह वक्तव्य पढ़ेंगे, मेरा उनसे भी निवेदन है कि इस बारे में आपके अन्य जो भी सुझाव हों, हमारी ई-मेल पर लिखकर या हमारे फोन नंबर पर बात करके दें, जिससे यह कार्य गति पकड़ सके और सुचारु रूप से चल सके।
आगामी नववर्ष की शुभकामनाएं !
आपका
हर्ष मल्होत्रा
दिल्ली-एनसीआर
जनवरी-फरवरी 2022...