दधीचि देह दान समिति के नए पदाधिकारियों के पदभार ग्रहण करने के अवसर पर, मेरे मन में अगले दो वर्ष के कार्यों के विचार आए। मैंने उन्हें सभी के सामने व्यक्त किया। समिति अब 20 वर्ष की हो गई है। कार्यकर्ताओं के परिश्रम से अपने क्षेत्र में इसने एक बड़ा स्थान बना लिया है। गूगल पर ‘देह दान’ डालने पर, सबसे ऊपर अपनी समिति का ही नाम आता है। ‘आॅर्गन डोनेशन - दिल्ली’ डालने से भी समिति के नाम की प्रविष्टि ऊपर की प्रमुख प्रविष्टियों में आती है। मेडिकल काॅलेजों, स्वास्थ्य मंत्रालयों व इस क्षेत्र की सभी संस्थाओं में ‘दधीचि’ एक सुपरिचित नाम बन गया है।
ईश्वर की यह भी महती कृपा है कि इतने वर्षों में देह-नेत्र दान कराने के लिए आए सभी संदेशों में हम दान कराने में सफल रहे हैं। कभी, एक बार भी, किसी एक मामले में भी, हमें दानदाता परिवार के सामने आंखें नीची नहीं करनी पड़ीं।
भारत में देह-अंग-नेत्र दान करने वाली सब संस्थाएं हमारी ओर देखती हैं। हमसे सहयोग लेना-देना चाहती हैं। हम भारत की राजधानी में बैठे हैं, देश भर में इस क्षेत्र की सभी गैर-सरकारी संस्थाओं को नेतृत्व व सहयोग देने की अपनी ज़िम्मेदारी हमें स्वीकार करनी होगी।
स्वस्थ-सबल भारत की प्रतिनिधि संस्था होने के नाते भारतीय जनता की ओर से हम सरकार के साथ नीति निर्धारण व कार्यक्रमों को सफल करने के लिए भी भागीदारी करें।
अब समय आ गया है कि हम विश्व स्वास्थ्य संगठनों के साथ भी स्वस्थ-सबल विश्व के लिए तालमेल बनाएं और इस संबंध में होने वाले वैश्विक विमर्श का हिस्सा बनें।
मेरा विश्वास है कि ‘दधीचि’ की नई टीम इस दिशा में लगातार प्रयत्न करेगी व आगामी 2 वर्ष के कार्यकाल में ही इन सब विषयों पर ठोस व नापी जा सकने वाली प्रगति प्राप्त हो सकेगी।
कार्यकारिणी के साथ ‘दधीचि’ की समितियां भी घोषित की गई हैं। इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारा लक्ष्य है कि वेबज़ीन विश्व-स्तरीय हो, स्वास्थ्य क्षेत्र के लोग इसकी सामग्री की प्रतीक्षा करें व इसमें प्रकाशित सामग्री जगह-जगह उद्धृत हो। मैं आह्वान करता हूं कि आगामी दो वर्ष में वेबज़ीन के सर्कुलेशन की संख्या 10,000 से अधिक हो जानी चाहिए।
सोशल मीडिया की भूमिका निरन्तर बढ़ रही है। अपनी वेबसाइट, फेसबुक व ट्विटर हैंडल की लोकप्रियता बढ़नी चाहिए। ऐसा करने के लिए हम इस बार ‘सोशल मीडिया’ की एक प्रभावी समिति बना पाए हैं।
दधीचि दर्शन यात्रा समिति के प्रयासों से मिश्रिख एक विशिष्ट तीर्थ के रूप में अध्यात्म तथा स्वास्थ्य क्षेत्र के सब लोगों को निश्चित ही आकर्षित करने में समर्थ होगा।
समिति का मार्च 2019 तक दिल्ली से काॅर्नियल अंधता दूर करने का लक्ष्य है। यह प्रति दिन 2-3 नेत्र दान से संभव है। किसी की मृत्यु पर संवेदना के लिए जाने पर उसके निकट परिजन से पूछना ’’नेत्र दान करना है क्या?’’ संकोच की बात नहीं है। अनुभव रहा है कि पूछने पर उत्तर हां में ही मिला। संकोच तो बुरे काम का होता है। यह (नेत्र दान) तो अच्छा काम है। ऐसा नेटवर्क दिल्ली में खड़ा हो जाए तो नेत्र दान की गति अकल्पनीय हो जाएगी।
आलोक कुमार

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दधीचि देह दान समिति गतिविधियाँ
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