संरक्षक की कलम से
याद आते रहेंगे डॉक्टर वेणुगोपाल !

11 अक्टूबर 1997 । नानाजी देशमुख का 81 वां जन्मदिन । इस दिन नाना जी ने संकल्प किया था कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी देह, मानवता के लिए दान की जाएगी। इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान में एक समारोह हुआ था । इस गरिमामय भावनात्मक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे डॉ वेणुगोपाल। डॉ वेणुगोपाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली, एम्स के निदेशक थे । उन्होंने 1994 में भारत का पहला हृदय प्रत्यारोपण किया था और ऑपरेशन सफल रहा था। डॉ वेणुगोपाल अपने साथ ऐसे लोगों को लाए थे, जिनका हृदय प्रत्यारोपण हो चुका था और वह स्वस्थ जीवन जी रहे थे। वे ऐसे रोगियों को भी लाए थे, जो प्रत्यारोपण होने की प्रतीक्षा में थे। डॉ वेणुगोपाल ने इस अवसर पर एक प्रभावी भाषण दिया था । उनके भाषण में जानकारियां थी और सबके हृदय को भावुक भी कर दिया था। डॉ वेणुगोपाल 2022 में दधीचि द्वारा आयोजित स्वस्थ सफल भारत पर एक नेशनल कॉन्क्लेव में भी आए थे और उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद एक सारगर्भित भाषण भी दिया था।

आंध्र के राजमुंदरी में 6 जुलाई 1942 को डॉक्टर वेणुगोपाल का जन्म हुआ था। वे दस बहन भाई थे। घर में कृषि होती थी, पर शिक्षा का भी वातावरण था। वेणु जब थोड़ा बड़े हुए तो चौथी कक्षा में उनके प्रवेश के लिए प्रयत्न किया गया । पिताजी उन्हें लेकर स्कूल गए । प्रवेश के लिए उन्हें फॉर्म दिया गया। तब ध्यान आया कि उन्हें घर में बाबू कहते हैं, पर उनका कुछ नाम तो रखा ही नहीं गया था । पिताजी ने उसी समय कुछ नाम सुझाए, जिनमें से वेणु गोपाल नाम तय कर लिया गया । वेणु सामने के कमरे में गए व प्रवेश के लिए परीक्षा पत्र भरकर आ गए । 2 दिन बाद वेणु और पिताजी स्कूल गए, चौथी क्लास की सारी सूची देखी । वेणु का नाम नहीं था । अब अचानक पांचवी की सूची की ओर ध्यान गया। ऊपर ही वेणु का नाम था। वेणु गलती से पांचवी में प्रवेश की परीक्षा दे आए थे और सफल हो गए थे ।

बड़े होने पर डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए वे एम्स में ही प्रवेश पा गए। डॉक्टर होने के बाद एम्स में ही नौकरी पा गए। सीढ़ी सीढ़ी चढ़ते हुए एम्स के निदेशक हो गए । डॉक्टर साहब को भगवान ने विलक्षण योग्यता दी थी । सारा जीवन उन्होंने मनुष्यों की बीमारियों से लड़ने और निरामय भारत के लिए लगाया । जैसा कि ऊपर लिखा है डॉ वेणुगोपाल ने 1994 में भारत का पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण किया था । जीवन में उन्होंने 26 हृदय प्रत्यारोपित किए, दसियों हजार ओपन हार्ट सर्जरी और क्लोज्ड हार्ट सर्जरी की । उन्हें अनेक सम्मान और प्रतिष्ठा मिली, जिसमें 1994 में मिला पद्म भूषण भी शामिल है ।पर डॉक्टर साहब सम्मान प्रतिष्ठा यश से उदासीन रहकर सारा जीवन अहर्निश पीड़ित मानवता की सेवा में लगे रहे। 8 अक्टूबर 2024 को डॉक्टर वेणुगोपाल ने अंतिम सांस ली । दधीचि परिवार की ओर से डॉक्टर वेणुगोपाल को विनम्र श्रद्धांजलि।


आलोक कुमार

We invite you to join in this Noble Mission.
Article

Skin Donation, a life-saving act ...
Article

The Personal & Political in Making Body Donations...
समाचार पत्रों में देहदान और अंगदान
दिल्ली-एनसीआर

सितंबर-अक्टूबर, 2024 ...
गतिविधियाँ
दिल्ली-एनसीआर

सितंबर-अक्टूबर, 2024 ...



दधीचि देह दान समिति के दधीचियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि

दिल्ली-एनसीआर

सितंबर-अक्टूबर, 2024