अध्यक्ष की कलम से
प्लाज़्मा थेरेपी के लिए रक्त दान

आशा है आप सभी परिवार सहित सकुशल होंगे, हमारा तो ध्येय मंत्र ही सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः है।

हम हमेशा प्रभु से स्वस्थ-सबल भारत की कामना करते हैं। केवल कामना ही नहीं अपितु दधीचि देह दान समिति के सभी साथियों का पुरुषार्थ भी इसी दिशा में रहता है। इसीलिए देह दान, अंग दान व नेत्र दान का मार्ग भी चुना। पिछले तीन महीने से कोरोना महामारी के कारण ये दान सम्भव नहीं हो पा रहे हैं। एक तो कोविड-19 वायरस के फैलने का खतरा, दूसरा, 80 प्रतिशत मेडिकल एवं पैरा-मेडिकल स्टाफ कोरोना से बचाव के प्रबन्धन में लगा हुआ है। सभी मेडिकल काॅलेजों में अभी शिक्षा भी नहीं हो पाई है। पूरा विश्व इस महामारी से आतंकित है। इस दौरान सभी अस्पतालों में रक्त की भी बहुत कमी हुई है। इस बात को गम्भीरता से लेते हुए हमारी दधीचि देह दान समिति के कार्यकर्ताओं ने सफ़दरजंग अस्पताल, स्वामी दयानन्द अस्पताल और गुरु तेगबहादुर अस्पताल में रक्त दान भी किया।

जब किसी को ऐसा वायरल इन्फेक्शन होता है तो अधिकांशतः उस व्यक्ति को यह वायरस दोबारा संक्रमित नहीं कर पाता। इसका कारण है कि उस व्यक्ति के रक्त में इस वायरस की एन्टी बाॅडीज़ बन जाती हैं और वह उस वायरस को दोबारा उसके शरीर में संक्रमण नहीं करने देतीं। ये एन्टी बाॅडीज़ कोशिका (Cell) प्लाज़्मा में होती हैं इसलिए इससे (प्लाज़्मा से) कोविड-19 वायरस के इलाज को प्लाज़्मा थेरेपी कहते हैं और कोविड-19 वायरस के इलाज का अभी यह एक मात्र तरीका है। जो लोग कोविड-19 का संक्रमण होने के बाद ठीक हो गए और उनका टेस्ट कोविड-19 के लिए निगेटिव आ गया है, ऐसे व्यक्तियों का प्लाज़्मा, ब्लड ग्रुप मैच करने के बाद कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है और उस मरीज़ के ठीक होने की सम्भावना बहुत अधिक हो जाती है।

आप लोगों ने समाचार पत्रों एवं चैनलों के माध्यम से सुना होगा कि भारत में कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों के ठीक होने का प्रतिशत लगभग 50% से भी अधिक है। प्रभु की कृपा से भारत में कोविड-19 से मृत्यु दर केवल 2.8% है। जो लोग कोविड-19 के संक्रमण के बाद ठीक हो गए हैं वो किसी दूसरे कोविड मरीज़ को ठीक करने के लिए अपना रक्त दान कर सकते हैं। प्लाज़्मा दान पर एक लेख भी हमने इसी अंक में दिया है।

ऐसा लगता है इतनी विषम परिस्थितियों में अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों सहित जब पूरा विश्व कोरोना के आगे घुटने टेक चुका है, मैं समिति के कार्यकर्ताओं और अन्य सभी से आग्रह करता हूं कि प्लाज़्मा डोनेशन के लिए हमें स्वयं भी आगे आकर समाज को प्रेरित करना चाहिए ताकि इस महामारी को हम अपने समाज और देश से भगा सकें और इस तरह से हम अपने भारत को स्वस्थ-सबल एवं आत्मनिर्भर बना सकेंगे।

धन्यवाद।

आपका    
हर्ष मल्होत्रा

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