अध्यक्ष की कलम से
भारतीय संस्कृति बनी कोरोना कवच

प्रभु की कृपा से आप सब लोग अपने-अपने घर पर होंगे एवं परिवार सहित सकुशल होंगे।

आज पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी के भय से आतंकित हैं। इस महामारी के कारण सभी तरह की सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक गतिविधियां थम-सी गई हैं।

इसी कारण से देह दान एवं अंग दान का कार्य भी रुका हुआ है। सभी अस्पताल, मेडिकल काॅलेज कोरोना से मोर्चा लेने में जुटे हुए हैं। पूरे देश में 23 मार्च, 2020 से लाॅक डाउन है जिससे सभी अस्पतालों के ब्लड बैंक में रक्त की बहुत कमी हो गई।

दधीचि देह दान समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार के सुझाव पर समिति के सभी पदाधिकारियों और क्षेत्रीय संयोजकों ने अपने-अपने क्षेत्र में रक्त दान को बढ़ावा देना सुनिश्चित किया। फलस्वरूप इस कठिन घड़ी में भी समिति के प्रयास से दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में 25 रक्तवीरों ने रक्त दान किया। सभी का विस्तृत विवरण इस अंक में दिया गया है।

मेडिकल काॅलेज अभी देह-अंग दान स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं। इस कारण से पिछले डेढ़ माह में लगभग 20 ऐसे उदाहरण रहे जिनका संकल्पित दान नहीं हो सका। ऐसे प्रमुख उदाहरण आर.एस.एस. के वरिष्ठ प्रचारक स्वर्गीय श्री लक्ष्मण देव एवं आर्य समाज की जुझारू नेत्री स्वर्गीया पंडिता राकेश रानी रहे।

प्रभु की कृपा एवं प्राचीन भारतीय संस्कारों के कारण भारत में, जो दुनिया में चीन के बाद सर्वाधिक आबादी वाला दूसरा देश है, इस महामारी का प्रकोप अपेक्षाकृत धीमी गति से रहा। अन्य देशों के मुकाबले भारत में मृत्यु दर भी भगवत् कृपा से काफी कम है, कोरोना संक्रमित मरीज़ों क़े ठीक होने का प्रतिशत अधिक है।

अमेरिका के एक समाचार पत्र में छपा है कि वहां इस महामारी काल में हथियारों की खरीद बढ़ गई है, क्योंकि वहां के सम्पन्न लोगों को लगता है कि उनकी सम्पदा को लूटने के लिए दंगे हो सकते हैं।

धन्य है भारत भूमि एवं भारत का जनमानस जहां प्रत्येक व्यक्ति चिन्ता कर रहा है कि कोई भी भूखा न सोए। ऐसी चिन्ता समाज का वह वर्ग भी कर रहा है जो स्वयं भी अधिक सम्पन्न नहीं है। हर गली, हर मोहल्ले में प्रतिदिन अभावग्रस्त परिवारों के लिए लंगर एवं रसोइयां चल रही हैं। भुखमरी का कोई भी समाचार नहीं है।

कोई व्यापार, उद्योग नहीं चल रहे हैं परन्तु लंगर एवं भंडारे ज़ोर-शोर से चल रहे हैं। यही भारत है, यही भारतीय संस्कृति है।

दान की हमारी यही प्राचीन संस्कृति हमें प्रेरित करती है, हमारा मार्ग दर्शन करती है कि हम अपने कर्म एवं धन से जीवन पर्यन्त समाज की सेवा कर सकें और जीवन ख़त्म होने के बाद अंग दान व देह दान से भी समाज के काम आ सकें।

इस कठिन समय में आप सभी परिवार सहित स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें - इन्हीं शुभकामनाओं के साथ

हर्ष मल्होत्रा

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