संपादक की कलम से
सुशील कुमार मोदी एक प्रेरक व्यक्तित्व

गणतंत्र दिवस, 2025 की पूर्व संध्या पर सुशील मोदी जी को मरणोपरांत, पद्मभूषण सम्मान देने की घोषणा हुई। यह देश के उन लाखों लोगों के प्रति भी एक सम्मान है , जो अंग और देहदान के पुण्य कार्य में लगे हुए हैं। यह भी सर्वविदित है कि देश की राजनीति में सुशील कुमार मोदी एक ऐसा नाम रहे जिन्होंने अपनी सादगी, समर्पण और सामाजिक कार्यों के प्रति निष्ठा से एक अमित छाप छोड़ी है। वे न केवल एक कुशल राजनेता थे बल्कि सामाजिक जागरुकता और मानवता की सेवा के लिए भी एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे। उनका अंगदान के क्षेत्र में योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है जो उनके जाने के बाद भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।

सुशील कुमार मोदी जी ने अपने जीवन काल में सामाजिक कार्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता दिखाई। अंगदान के प्रति उनकी संवेदनशीलता और इसके महत्व को जन जन तक पहुंचाने का उनका प्रयास ,उनकी दूरदर्शिता का परिचायक है। उन्होंने न केवल व्यक्तिगत स्तर पर अंगदान को प्रोत्साहित किया बल्कि सार्वजनिक मंचों पर भी इसके महत्व को रेखांकित किया। उनके प्रयासों ने बिहार जैसे राज्य में जहां चिकित्सा जागरूकता अभी भी कई क्षेत्रों में सीमित है, अंगदान को लेकर लोगों की मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहां अंगदान की प्रक्रिया को सरल बनाने और इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए सुशील मोदी जी ने कई सफल प्रयोग किए ।उन्होंने अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों को अंगदान की प्रक्रिया पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके प्रयासों से कई लोग अंगदान के लिए आगे आए। इससे न केवल व्यक्तियों के जीवन बचे बल्कि समाज में इस नेक कार्य के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित हुआ। यह विरासत आज भी बिहार में अंगदान के क्षेत्र में कार्यरत संगठनों और व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का काम कर रही है।

मुझे अच्छे से याद है जब दिल्ली से श्री आलोक कुमार ने, एक राष्ट्रीय प्लेटफार्म पर सभी संस्थाओं के आने की बात शुरू की, तो सुशील मोदी जी ने त्वरित सहमति दी । आश्चर्यजनक रूप से उन्होंने नेशनल कॉन्क्लेव को एक व्यक्तिगत पारिवारिक कार्यक्रम की तरह सफल करने के लिए सभी प्रयास किए। अंगदान विषय को जन-जन तक पहुंचाना व सरकारी तंत्र से समुचित तालमेल रखना ... इसके व्यावहारिक पक्ष को सुनिश्चित करने के लिए दो दिन के कॉन्क्लेव में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।

सुशील मोदी जी का मानना था कि अंगदान न केवल एक चिकित्सकीय प्रक्रिया है, बल्कि यह मानवता के प्रति एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। उनके निधन के बाद भी उनकी यह सोच समाज को प्रेरित करती है कि हम अपने जीवन के बाद भी दूसरों के लिए कुछ कर सकते हैं।

बिहार सरकार द्वारा उनके नाम पर शोध संस्थान और स्मृति पार्क की स्थापना का निर्णय भी उनके सामाजिक योगदान को सम्मान देने का एक प्रयास है ।

सुशील मोदी जी को राष्ट्रीय सम्मान मिलना देहदान अंगदान विषय को समर्पित हम सबके लिए गौरव का पल है ।इस विषय पर अपने समर्पण व गतिशीलता से निश्चय ही हम इस सम्मान की गरिमा को बनाए रखेंगे।

शुभाकांक्षी
मंजु प्रभा

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