हम महर्षि दधीचि को अपना आदर्श मानते हैं। उनके द्वारा समाज कल्याण हेतु देहदान-अस्थि दान का अनुकरण करते हुए समाज को देहदान -अंगदान व नेत्रदान के लिए प्रेरित करते हैं। 26 अगस्त को दधीचि जयंती थी। यह विचार हुआ कि क्यों न हम इस पर्व को उनके नाम व कार्य के अनुरूप मनाए। फलस्वरूप प्रभु कृपा से एक अत्यंत सफल वेबीनार का आयोजन हुआ, जिसका विषय था 'अस्थि दान'। यह सुखद संयोग ही था कि विषय व दिन दोनों ही महर्षि दधीचि के पर्याय थे। एम्स के अस्थि विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर डॉ राजेश मल्होत्रा ने विषय पर अत्यंत लाभकारी जानकारियां दी व अस्थिदान के महत्व तथा इससे होने वाले लाभ के विषय पर चर्चा की। अस्थि दान की आवश्यकता, अस्थि बैंक, इसे कैसे किया जा सकता है, इन सब विषयों को एक पीपीटी के माध्यम से उन्होंने कार्यकर्ताओं को बहुत ही सरल भाषा में समझाया।
हमारे संरक्षक श्री आलोक कुमार ने दधीचि जयंती के महत्व का बहुत ही सहज तरीके से वर्णन किया । उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए उनका आभार भी प्रकट किया कि कैसे सब निर्मल भाव से समिति के कार्य में लगे हैं।
कुछ दिन बाद दधीचि परंपरा को आगे बढ़ाया भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने 6 सितंबर को उनकी माता जी के स्वर्गवास होने के बाद उन्होंने श्री आलोक कुमार से संपर्क किया व अपनी मां के नेत्रदान और देहदान को कार्यान्वित करने का आग्रह किया। डॉक्टर हर्षवर्धन ने एक डॉक्टर होने के साथ-साथ भारत के स्वास्थ्य मंत्री होते हुए एक अनूठा उदाहरण देश के सामने प्रस्तुत किया है ।इस पुण्य कार्य से उन्होंने संदेश दिया है कि स्वयं मानवता के लिए कुछ कर सकने वाला व्यक्ति ही देश सेवा में संलिप्त रह सकता है। प्रभु उनकी मां श्रीमती स्नेह लता गोयल को अपने चरणों में स्थान दे व परिवार को इस क्षति को सहन करने की शक्ति दे।
साथियों, कोरोना नाम की विश्वव्यापी बीमारी के विषय में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस बीमारी के संबंध में जब हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया था तो उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करने को कहा था और इस परिस्थिति को एक अवसर बनाने का आह्वान भी किया था । दधीचि के कार्यकर्ताओं ने भी, इस परिस्थिति में भी अपने कार्य को गतिमान करने का निश्चय किया है। हम सब स्वस्थ रहें और मानव जाति को निर्भय व निरामय बनाएं।
धन्यवाद।
आपका
हर्ष मल्होत्रा