अध्यक्ष की कलम से
अंगदान पर अपने आप से एक 'वचन'

अंगदान वर्तमान में दुनिया की एक बड़ी जरूरत है। हम सबको अच्छी तरह पता है कि मनुष्य के शरीर के कई ऐसे अंग हैं, जिन्हें काम न करने पर बदला जा सकता है। इसके लिए किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति से अंग लेकर उसे बीमार व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है। लेकिन प्रत्यारोपण के लिए अंगों का मिलना, तभी संभव है जब कोई अंगदान करता है।

यहां यह बात भी ध्यान देने की है कि भारत और इसके आस-पास के देशों में गैर-संचारी बीमारियों, विशेष रूप से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे में लगातार वृद्धि हो रही है,

इसलिए अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता भी तेजी से बढ़ी है। ये बीमारियां अक्सर हमारे शरीर के अंगों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं और एक समय ऐसा भी आता है कि हमारे अंग काम करने में विफल हो जाते हैं। हमारे सामने प्राण का संकट गहरा जाता है। इसलिए अंग प्रत्यारोपण को इस तरह के रोगियों के लिए एक जीवन रक्षक प्रक्रिया के रूप में मान्यता दी गई है।

हालांकि, पूरी दुनिया में अंग प्रत्यारोपण के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची है। सिर्फ भारत में ही नहीं, पश्चिम के कई देशों में अंगदान की दर बेहद कम है और प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या बहुत ज्यादा है। इस कमी को पूरा करने के लिए हमें कई स्तरों पर दृष्टिकोण के बदलने की जरूरत है। अंग दान को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक शिक्षा के माध्यम से प्रयास की आवश्यकता हमें दिखाई दे रही है। हालांकि इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि पिछले कुछ सालों में अंग-प्रत्यारोपण में वृद्धि हुई है। इस दिशा में दधीचि देहदान समिति निश्चित रूप से अपने प्रयासों पर संतोष कर सकता है, लेकिन अभी हमें बहुत दूर जाना है। हमें हमेशा यह याद रखना होगा कि अंग प्रत्यारोपण वर्तमान में मानव अंगों की उपलब्धता पर ही निर्भर करता है।

अंग प्रत्यारोपण के मामले को गंभीरता से देखें तो आप पाएंगे कि यहां दो चेहरे हैं। एक चेहरा अंग दान करनेवाले का है और दूसरा चेहरा दान में अंग पानेवाले का है। लेकिन दोनों में दाता का चेहरा हमेशा गरिमामय लगता है। अपनी परंपरा में प्राप्तकर्ताओं की तुलना में दान हमेशा अधिक गरिमापूर्ण रहा है। अंगदान के मामले में यह उन परिवारों, दोस्तों, सहकर्मियों और परिचितों को भी प्रभावित करता है, जो प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले लोगों से प्यार करते हैं और उनके साथ खड़े होते हैं। हम हमेशा से एक कृतज्ञ समाज में रहते आए हैं, इसलिए अंग दाताओं के लिए हमारे मन में स्पष्ट और सचेत सम्मान हमेशा रहेगा। दान और प्रत्यारोपण के बीच जो सबसे बड़ा मानवीय पहलू है, वह है लोगों की मदद करना। इस मदद में हम सब साथ रहेंगे, यह वचन हमें अपने आप को देना होगा।

आपका    
हर्ष मल्होत्रा

We invite you to join in this Noble Mission.
देह्दानियों का 44वां उत्सव
24 अप्रैल,2022
समिति से मिलकर मुझे देहदान की राह मिल गई-निदेशक, नोटो...
Letter
आईएमए
सिल्वर जुबली फंक्शन के लिए आईएमए ने हाथ बढ़ाया...
आलेख
डॉ. संजय तेवतिया
दूसरों की दृष्टि के लिए एक प्रार्थना की तरह है नेत्र दान ...
Article
Dr. Smriti Sharma
India’s status in organ donation globally...
समाचार पत्रों में देहदान और अंगदान
देश-विदेश
मार्च-अप्रैल 2022...
गतिविधियाँ
दिल्ली-एनसीआर
मार्च-अप्रैल 2022...



दधीचि देह दान समिति के दधीचियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि...

दिल्ली-एनसीआर

मार्च-अप्रैल 2022...