11 अक्टूबर एक बहुत ही शुभ दिन है । 24 वर्ष पहले 11 अक्टूबर 1997 को हमारा पहला उत्सव दीन दयाल शोध संस्थान में आयोजित हुआ था। इस उत्सव में हमारे प्रथम देहदानी श्रद्धेय नानाजी जी देशमुख ने संकल्प लिया था। बहुत सारी यादें हैं इस लंबे सफर की। अधिकांश खुशियों की तथा कुछ उन शुरुआती दौर के परेशानियों की, जिनका सामना हमने आलोक जी के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक किया।
एक छोटा सा 8-10 का कार्यकर्ताओं का जमावड़ा आज अपने विशाल स्वरूप में 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है। ये सब उन नि-स्वार्थ कार्यकर्ताओं के रात-दिन की मेहनत का परिणाम है कि हमारी समिति आज देशभर में देहदान - अंगदान पर कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है। भारत सरकार ने सर्वश्रेष्ठ एनजीओ का पुरस्कार देकर इस बात पर मोहर लगा दी है। हम सबके लिए यह एक गौरव की बात है, परंतु केवल संतोष कर यहीं पर रुकने की नहीं।
यही विचार कर समिति ने 25वें वर्ष को अपने आगामी योजनाओं और अगले 10 सालों के लक्ष्य को निर्धारित करने का वर्ष घोषित किया है। इसी साल, 19 सितंबर 2021 को आईआईसी ( इंडिया इंटरनेशनल सेंटर ) में हमारे मार्गदर्शक आलोक कुमार जी ने आगामी 10 वर्षों की योजना के बारे में चर्चा शुरू करते हुए समिति के शैशवकाल से आज तक के सफर का अवलोकन किया था। उन्होंने वर्तमान पर प्रकाश डालते हुए भविष्य की योजनाओं की नींव रखी और समस्त साथियों को योजना में अपना योगदान देने का आह्वान किया। निकट भविष्य एक कोर कमेटी का गठन कर एक बैठक करने पर, सबकी सहमति बनी। यह एक शुभ संकेत है।
मुझे आशा ही नहीं, परम विश्वास है कि सभी कार्यकर्ताओं के शुभ आशीर्वाद से हम अपने रजत जयंती वर्ष को आने वाले समय के लिए एक आधार स्तंभ वर्ष बनाकर, अपने शुभ कार्य को अधिक गति से आगे बढ़ाएंगे।
आप सभी की मंगल कामनाओं के साथ सुनहरे भविष्य की प्रतीक्षा में.....
आपका
हर्ष मल्होत्रा