संपादक की कलम से
स्वस्थ भारत की सोच के साथ पत्रिका का 50वां पड़ाव

वर्ष 2013 के जून में हमने समिति की वेबसाइट लांच की और चर्चा होने लगी कि अब तो हमें एक पत्रिका भी निकालनी चाहिए। पत्रिका के माध्यम से हम समिति की गतिविधियों को जनसाधारण तक पहुंचा सकेंगे। देहदान -अंगदान- नेत्रदान को लेकर जो भ्रांतियां भारतीय समाज में है, उनको दूर करने में भी सहायता मिलेगी । चिकित्सा जगत में होने वाले नए तकनीकी प्रयोग व अंग प्रत्यारोपण की जानकारियां भी पत्रिका में सम्मिलित की जाएंगी।

दधीचि देहदान समिति के संरक्षक आलोक जी का मानना था कि यह कोई कठिन कार्य नहीं है, समिति के कार्यकर्ता ही कर लेंगे। हमारी सक्रिय टीम में विधिवत पत्रकारिता का अभ्यासी कोई नहीं था। महेश पंत जी और मुझे उत्तरदायित्व सौंपा गया। महेश जी ने पत्रिका संपादन का काम पहले किया था । कॉलेज -यूनिवर्सिटी में भाषण, वाद-विवाद में उत्साह से प्रतिभागी बनने की मेरी योग्यता भी 35 वर्ष बाद कुछ उपयोगी होती नजर आई । शुरू में हमारे घर बैठ कर ही हम पत्रिका की रूपरेखा बनाते ,लंबी चर्चाएं करते । विषय वस्तु उपयोगी भी हो और जनमानस को समझ में आए। समिति की अपनी गतिविधियों का व दानदाताओं का, श्रद्धांजलि के माध्यम से, प्रामाणिक रिकॉर्ड भी तैयार हो जाए। धर्म गुरुओं व प्रतिष्ठित सरकारी चिकित्सा संस्थानों के प्रमुख व्यक्तियों के साक्षात्कार लिखित या वीडियो के माध्यम से पाठकों तक पहुंचे .....यह एक श्रमसाध्य व समय साध्य प्रक्रिया थी। समिति के अपने सहकर्मियों से किससे कहां सहायता मिल सकती है ....यह सोचते सोचते क्रम चल पड़ा .....आरंभ के समय की अनिश्चितताएं व कठिनाइयां अपने आप ही समय से दूर होती गईं। समिति की गतिविधियां व कार्य क्षेत्र का विस्तार होने के साथ-साथ पत्रिका की विषय वस्तु बटोरना भी सहज होता गया। वास्तव में यह एक टीम वर्क ही है कि हम सहज प्रवाही रूप से आपके समक्ष पत्रिका को प्रस्तुत कर पा रहे हैं।

एक सितंबर, 2014 को यातायात भवन, संसद मार्ग में तत्कालीन परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी के कार्यालय में ई जर्नल के प्रवेशांक का लोकार्पण हुआ। प्रथम अंक में अध्यक्षीय के अतिरिक्त 4 लेख हैं और श्री नितिन गडकरी का एक लिखित संदेश। हमने यह निश्चित किया था कि विषय वस्तु के साथ समझौता नहीं करेंगे ,पृष्ठ संख्या कुछ भी हो। जल्दी ही साक्षात्कार के वीडियो हमारे लिए संभव हो गए और लेखों की संख्या भी 8 से 10 के बीच निश्चित सी हो गई। इसे एक सुंदर संयोग ही कह सकते हैं कि समिति का रजत जयंती वर्ष और पत्रिका के 50 वें अंक को निकालने का समय लगभग आगे पीछे ही आया है ।

समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्री आलोक कुमार के लगातार मार्गदर्शन के बिना हमारी यह लंबी यात्रा संभव नहीं थी। मुझे यह लिखते हुए भी हर्ष हो रहा है कि उनकी कल्पना के अनुसार हम जनमानस में अपना विषय पहुंचाने में सफल रहे हैं। आप सबके सुझाव निरंतर पत्रिका को विषय वस्तु की दृष्टि से उपयोगी व समृद्ध करने में सहायक होते हैं , निसंकोच देते रहें।

 निरामय भारत की कल्पना को साकार करने की अभिलाषा के साथ,

शुभेच्छु    
मंजु प्रभा

We invite you to join in this Noble Mission.
देहदानियों का 49वां उत्सव
07 मई, 2023
विवेकानंद स्कूल, आनंद विहार. दिल्ली
देहदानियों का 50वां उत्सव
13 मई, 2023
आर्मी मेडिकल कॉलेज सभागार, दिल्ली कैंट
Article
Dr. Vatsala Trivedi
India's Deceased donor transplantation program...
प्रेरणादायी
देहदान को लेकर कोटा में 'शाइन इंडिया फाउंडेशन' के कुछ प्रेरणादायी प्रयोग...
संपादक के नाम पत्र
पूनम मल्होत्रा
आर.पी.अरोड़ा
डॉ. दीप्ति तनेजा

कविता
प्रवीण कुमार रस्तोगी
देहदानी पिताजी की स्मृति में श्रद्धा पुष्प...
समाचार पत्रों में देहदान और अंगदान
दिल्ली-एनसीआर
मई-जून , 2023 ...
गतिविधियाँ
दिल्ली-एनसीआर
मई-जून , 2023 ...



दधीचि देह दान समिति के दधीचियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि...

दिल्ली-एनसीआर

मई-जून , 2023 ...